Published On Apr 1, 2021
होली फाग ऊच गाँव सानी पुरवा उन्नाव
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नन्द घोस रथ बको जब रथ हरि अर्जुन को हाको
एक तो घोर कठोर महारथ दूजे अस्वमेघ रथ ताकेओ
तीजे त्रिभुवन पति हाकी रहे श्री मोर मुकुट सोहन ताकेओ
चौथे हनुमान ध्वजा पर बैठे सेवक है सीता पति के
जब हसि न सकत तार सिंधु , तब डोलत सुमन पताको
जब रथ हरि अर्जुन को हाको
नन्द घोस रथ पर प्रभु बैठे हैं रूप सारथी का धारिके
बोले रघुनन्दन ठाडे नन्दन का विलम्ब रखेव करिके
सुनी के हरि बानी सुमिरी भवानी चलेव वीर पारथ धरिके
श्री कृष्ण वीर पीताम्बर धारी समर वीर बाको
जब रथ हरि अर्जुन को हाको
विनय कारों कर जोरी नाथ तुम भयो सहायक
गंगा सूत के काज नाथ किन्हेव बहु लायक
अब ज्योति कर ghyo नाथ दिनन के पायक
दोऊ दल मध्य मोर रथ नाचे जस कुम्हार को चाको
जब रथ हरि अर्जुन को हकों
क्रोधित बैन सुने पारथ के बोले चक्रपाणि हसिकै
घोर सोर संग्राम करेंगे आज पुत्र रवि नन्दन के
चाहे इन्द्र कुबेर गरूड़ सनकादिक सहित सहाय रमापतिके
ऐसे सिव राम विजय नहि पावै कौरव घोर रण बको