Sitamata Mandir II सीतामाता मंदिर II
PRATAPGARH DARSHAN PRATAPGARH DARSHAN
7.59K subscribers
45,087 views
458

 Published On Jun 16, 2021

सीतामाता अभ्यारण्य प्रतापगढ़ II Sitamata wildlife sanctuary II

मान्यता है कि सीतामाता ने वनवास के कुछ दिन इस वन क्षेत्र के ऋषि वाल्मीकि आश्रम में बिताए थे। इसीलिए क्षेत्र का नाम सीतामाता अभयारण्य पड़ा। इस आश्रम में आज भी कई औषधीय पौधे हैं। वन क्षेत्र के हृदय स्थल पर सीतामाता का विश्व का एकमात्र प्रसिद्ध मंदिर है।

सीता माता वन्यजीव अभयारण्य एक वन्यजीव अभयारण्य है जो दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित प्रतापगढ़ जिला में स्थित है। यहाँ बहुत घने जंगल है
यह प्रतापगढ़ ज़िले का मुख्य आकर्षण है। यहाँ की भूमि क्योंकि तीन अलग अलग संरचनाओं के संगम की लहरदार है - मालवा पठार ,विंध्याचल हिल्स और अरावली श्रृखला।ओर यहा पर उड़न गिलहरी भी पाई जाती है इसमै दो अजस्त्र झरने गर्म व ठडै पानी कै बहतै है यहां सार्वजनिक जैव विविधता पाई जाती है जैसे चीतल चोसिंघा आदि
: सीता माता अभ्यारण्य – प्रतापगढ़ :

स्थापना – 1979 में, क्षेत्रफल – 422.95 वर्ग किलोमीटर

उपनाम – उड़न गिलहरियों का स्वर्ग

चितल की मातृभूमि
यह अभ्यारण्य राजस्थान के दक्षिण पश्चिम में प्रतापगढ़ जिले में स्थित है, जहां भारत की तीन पर्वत मालाएं अरावली विंध्याचल और मालवा का पठार आपस में मिलकर ऊंचे सागवान वनों की उत्तर पश्चिमी सीमा बनाते है
कर्ममोई (कर्म मोचनी) नदी का उद्गम स्थल सीता माता अभ्यारण्य है इसके अलावा जाखम टांकिया भूदो तथा नालेश्वर नमक नदियां इसी अभयारण्य से होकर बहती है
यह अभयारण्य चौसिंगा के प्रमुख राष्ट्रीय स्थलों में से एक है यह चौसिंगा की जन्म भूमि के नाम से भी जाना जाता है चौसिंगा एंटी लॉप प्रजाति का दुर्लभतम वन्य जीव हैं जिसे स्थानीय भाषा में भेडल भी कहा जाता है

THANKS FOR WATCHING

show more

Share/Embed