इस किले में शरण लेते थे चंबल के डाकू; क्यों पीटते थे गांव वालों को? बीहड़ के बीच रूप सिंह का किला।
Brajbhushan Markandey Brajbhushan Markandey
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 Published On Aug 30, 2021

इस किले में शरण लेते थे चंबल के डाकू; क्यों पीटते थे गांव वालों को? बीहड़ के बीच में रूप सिंह का किला।
सेंगर वंशीय रूप सिंह का किला इटावा के ब्लॉक और तहसील चकरनगर स्थित भरेह गांव में स्थित है।
राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास में इस किले और यहां के राजा रूप सिंह एवं उनकी सेना का बड़ा महत्व है।
उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया था और अंग्रेजो के खिलाफ निर्णायक युद्ध किया था।
इस किले के चारों तरफ खाई थी जो पट गई है। एक विशाल और गहरा कुआं भी है।
राजा रूप सिंह ने नाव का पुल बनाकर यमुना के उस पार जा औरैया तहसील को लूटा था।
अंग्रेजी फौज ने इस किलो को तोड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा और किले को बहुत हद तक नष्ट कर दिया। यहां से कुछ ही दूरी पर चंबल और यमुना का संगम भी है। यह किला आजादी का विशेषांक रहा है।
इस किले की काफी ऊंचाई को देखते हुए यह डाकू आते थे, आराम फरमाते थे।
यहां से चारों तरफ बीहड़ ही बीहड़ दीखता है।
यदि एक तरफ से पुलिस आती थी तो दूसरी तरफ से डाकू बीहड़ में निकल जाते थे।
इसी गांव की दस्यु सुंदरी लवली पांडे भी थी जिसे पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया।
गांव के कुछ लोगों ने बताया कि डकैत उनसे खाने का सामान बीड़ी माचिस एवं अन्य वस्तुएं मंगाते थे।
खाना पीना भी मांगते थे।
ना नुकुर करने पर बुरी तरह से पीटते भी थे।
आप इस वीडियो के माध्यम से देख सकते हैं कि किले के चारों तरफ केवल और केवल चंबल और यमुना का बीहड़ है।
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