जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिव्य संकीर्तन रस की वर्षा। अपनी चिर परिचित उन्मत्त मुद्रा में श्री महाराज जी द्वारा रामायण की विशेष चौपाइयों का भावपूर्ण गायन।