संचार प्रौद्योगिकी तथा इसरो के गठन उद्देश्य कार्य|mp online test|mppsc 2024
mp online test mp online test
22 subscribers
24 views
0

 Published On Premiered Sep 24, 2024

संचार प्रौद्योगिकी तथा इसरो के गठन उद्देश्य कार्य|mp online test|mppsc 2024
#mpgktest
#civilserviceexam
#mppsc2024
#governmentexam
#mpgktestseries
#civilserviceexam
#mppsc 2024
#mppsc 2025
#सूचना संचार प्रौद्योगिकी
#civilserviceexam
#mppsc2024
  / 👉pushpraj8689  
  / 👉pushpraj8689  
  / 👉pushpraj8689  
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT - Information and Communication Technology) एक व्यापक शब्द है जो सूचना के संग्रहण, प्रसंस्करण, संचार और उपयोग के लिए हार्डवेयर, सॉफ़्टवेयर, नेटवर्किंग और अन्य तकनीकी संसाधनों का उपयोग करता है। यह विभिन्न प्रौद्योगिकियों का एक संयोजन है जो सूचना के आदान-प्रदान और संसाधन के डिजिटल रूप में प्रबंधन को सक्षम बनाती हैं।

ICT के प्रमुख घटक:

1. कंप्यूटर तकनीक: डेटा प्रोसेसिंग, स्टोरेज और सूचना प्राप्त करने के लिए कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर।


2. संचार नेटवर्क: इंटरनेट, टेलीफोन, मोबाइल नेटवर्क, और अन्य डिजिटल नेटवर्किंग सिस्टम जो लोगों और संगठनों के बीच सूचना का आदान-प्रदान करते हैं।


3. डेटा स्टोरेज: सूचना को संग्रहीत करने के लिए विभिन्न प्रकार के डेटा स्टोरेज सिस्टम, जैसे कि क्लाउड स्टोरेज, हार्ड ड्राइव, और सर्वर।


4. सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन: वर्ड प्रोसेसिंग, स्प्रेडशीट, प्रेजेंटेशन, और अन्य विशेष प्रयोजन वाले सॉफ़्टवेयर जो डेटा प्रबंधन और उपयोग को आसान बनाते हैं।


5. मल्टीमीडिया उपकरण: ऑडियो, वीडियो, और अन्य मल्टीमीडिया कंटेंट के प्रबंधन और संचार के लिए टूल्स और प्लेटफ़ॉर्म।



ICT का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, प्रशासन और मनोरंजन सहित कई क्षेत्रों में किया जाता है, जिससे कार्यकुशलता, संचार और उत्पादकता में सुधार होता है।
इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) का गठन और इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

1. गठन:

इसरो की स्थापना 1969 में हुई थी। इसे भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत कार्य करने वाला प्रमुख संगठन बनाया गया। इसरो की नींव डॉ. विक्रम साराभाई ने रखी थी, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है। 1962 में स्थापित भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) ने इसरो के लिए आधार तैयार किया।

2. उद्देश्य:

इसरो का मुख्य उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और उसका समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग करना है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

स्वदेशी उपग्रहों का विकास: पृथ्वी अवलोकन, संचार, मौसम विज्ञान और अन्य उद्देश्यों के लिए उपग्रहों का निर्माण।

लॉन्च व्हीकल (प्रक्षेपण यान) का विकास: भारत में ही विकसित प्रक्षेपण यानों के माध्यम से उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण।

अंतरिक्ष विज्ञान अनुसंधान: ग्रहों, तारों और ब्रह्मांड की जानकारी हासिल करने के लिए अंतरिक्ष विज्ञान में अनुसंधान करना।

समाजोपयोगी प्रौद्योगिकी का विकास: कृषि, मौसम पूर्वानुमान, दूरसंचार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग करना।

अंतरिक्ष मिशन: मंगलयान, चंद्रयान जैसे अंतरिक्ष अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम देना और भारत को वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करना।


3. कार्य:

इसरो ने निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य और परियोजनाएँ सफलतापूर्वक अंजाम दी हैं:

प्रक्षेपण यान (लॉन्च व्हीकल) का विकास:

PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) और GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) जैसी स्वदेशी प्रक्षेपण प्रणालियाँ विकसित की हैं।

PSLV के माध्यम से इसरो ने सैकड़ों उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है, जिसमें कई विदेशी उपग्रह भी शामिल हैं।


उपग्रहों का विकास:

आर्यभट्ट, रोहिणी और इनसैट जैसी महत्वपूर्ण उपग्रह श्रृंखलाओं का निर्माण।

पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, संचार उपग्रह, और नेविगेशन उपग्रह जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए कई उपग्रहों का प्रक्षेपण।


अंतरिक्ष मिशन:

चंद्रयान (2008) – भारत का पहला चंद्र मिशन।

मंगलयान (2013) – मार्स ऑर्बिटर मिशन, जिसने भारत को मंगल तक पहुँचने वाला चौथा देश बनाया।

चंद्रयान-2 (2019) – चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का प्रयास।

गगनयान (अभी प्रगति में) – भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन।


समाजोपयोगी सेवाएँ:

टेली-एजुकेशन, टेली-मेडिसिन, आपदा प्रबंधन और नेविगेशन में इसरो की तकनीक का उपयोग।

कृषि, मछली पालन, और पर्यावरण निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग उपग्रहों का उपयोग।



इस प्रकार, इसरो का उद्देश्य भारत को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग करके विकास में योगदान देना है।

show more

Share/Embed