आज का सूत्र:- ज्ञानी नहीं ध्यानी बनो||Bageshwar Dham Sarkar
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 Published On Feb 15, 2023

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:+ज्ञानी ना बनो तो चल जाएगा, लेकिन ध्यानी जरूर बनो- पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री:-

दमोह। स्थानीय होमगार्ड मैदान पर 24 दिसंबर से नौ दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन चल रहा है। जहां पर श्री बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर परम पूज्य गुरुवर पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज के मुखारविंद से श्री राम कथा की रस वर्षा हो रही है। कथा संयोजक विधायक अजय टंडन ने कहा कि श्री राम कथा के छठवें दिन गुरुवार को श्री राम एवं मां जानकी के विवाह उत्सव की कथा भक्तों को श्रवण कराई। इस दौरान मौजूद करीब दो लाख भक्त गणों में से अधिकांश लोग पीले वस्त्र पहने हुए थे। जिन्होंने झूमकर नृत्य किया और जय श्री राम के जैसे ही जयकारे लगाए तो समूचा पंडाल जयकारों से गुंजायमान हो गया। शास्त्री जी ने श्री राम कथा के दौरान कहा कि दमोह में जब से श्री राम कथा का आयोजन चल रहा है पूरा नगर अयोध्या की तरह राममय हो गया है।जहां से भी बाहर निकल रहे हैं, चारों ओर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। निश्चित रूप से इससे बड़ा एक और इतिहास दमोह ने रच दिया है कि 300 से अधिक हमारे जो सनातनी भाई ईसाई बन गए थे, अब वह वापस सनातन धर्म मैं वापस आ गए हैं यह हम सब के लिए गर्व की बात है। गुरुजी ने छठवें दिन संदेश देते हुए कहा कि आप ज्ञानी ना बनो तो चल जाएगा लेकिन ध्यानी जरूर बनना चाहिए, जिससे परमात्मा का ध्यान रहेगा। उन्होंने कहा कि जब मन मंदिर हो जाता है तो ईश्वर को अपने आप प्रकट होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कृपा की ताकत बहुत ही बड़ी और अद्भुत होती है। उन्होंने कहा कि पुस्तक पढ़ कर उस पर ध्यान लगाने से सब कुछ होता है। उन्होंने श्रीरामचरितमानस को लेकर कहा कि जो स्वयं बंधन में बंधा हुआ हो वह किसी और को मुक्त नहीं कर सकता। लेकिन सब के बंधन को केवल श्री रामचरितमानस मुक्त कर सकती है। जो व्यक्ति मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का व श्री हनुमान जी का स्मरण करते हैं उनके भी बंधन खुल जाते हैं। उन्होंने गुरु शिष्य के बारे में बताया कि शिष्य का स्वभाव गुरुवर से मिलना चाहिए, जिससे लगे कि यह गुरुवर के शिष्य अर्थात बागेश्वर धाम वाले हैं। उन्होंने कहा कि जिसे मानते हो उसको चरित्र में उतारना प्रारंभ करो। उन्होंने श्रीरामचरितमानस का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत में प्रत्येक व्यक्ति को रामायण पढ़ने की आवश्यकता है। जो व्यक्ति रामायण पड़ेगा वह जीना सीख जाएगा। गुरुजी ने अन्य समाज के लोगों से भी श्री रामचरितमानस पाठ पढ़ने का आग्रह किया।
श्री बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का तीन प्रकार से विवाह हुआ है। राम जी का पहली बार विवाह वाटिका में, दूसरी बार धनुष तोड़ते समय और तीसरी बार जनकपुरी में विवाह हुआ। उन्होंने धनुष तोड़ने के दौरान की कथा सुनाई और कहा कि कई देशों के राजा धनुष तोड़ने के दौरान मौजूद रहे, लेकिन कोई भी राजा पिनाक धनुष को उठा तक नहीं पाया। धनुष उठाने के लिए वीर नहीं रघुवीर की आवश्यकता थी और रघुवीर ने मध्य में सबसे पहले गुरु जी को प्रणाम किया और फिर धनुष की परिक्रमा की बाद में उन्होंने भवन के मध्य में पलक झपकते ही पिनाक धनुष को अपने हाथों में उठाया और भवन के मध्य में तोड़ दिया। शास्त्री जी ने मध्य शब्द को लेकर भी कई तरह से कथा का विस्तार से वर्णन किया।

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