Published On Oct 16, 2024
गोपी प्रेम की ध्वजा।
जिन गोपाल कियो बस अपने उर धरि स्याम भुजा॥
सुकमुनि व्यास प्रसंसा कीनी ऊधौ संत सराही।
भूरि भाग्य गोकुल की बनिता अति पुनीत भव मांही॥
कहा भयो जो विप्रकुल जनयो जो हरि सेवा नांही।
सोई कुलीन दास परमानंद जो हरि सम्मुख धाई॥
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