Anulom Viloom - Detailed Explanation by Swami Ramdev
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 Published On Jun 6, 2015

परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने इस विडियो में अनुलोम – विलोम प्राणायाम के बारे में बताया हैं !

स्वामी जी ने यह बताया की अनुलोम – विलोम प्राणायाम बहुत ही महत्वपूर्ण हैं !
नाड़ी की शुद्धी व शक्ति के लिये autoimmune disease (merriment dispersions ) (applies) की समस्या हैं, हार्ट की परेशानी हैं, जिनको गुस्सा ज्यादा आता हैं, उनके लिये अनुलोम – विलोम प्राणायाम बहुत जरूरी हैं और कुंडली जागरण के लिए जरूरी हैं सारी नस, नाड़ियों को शुद्ध कर देता हैं, शरीर, इन्द्रियों और मन के दोषों से मुक्त करके उच्च चेतना से युक्त कर देता हैं, देवो को देवालय शिवालय बना देता हैं, शरीर के बाहरी और भीतर एक आध्यात्मिक उर्जा क्षेत्र तैयार हो जाता हैं, हमारा ओरा strong हो जाता हैं अनुलोम – विलोम से !
अनुलोम – विलोम प्राणायाम के लिये हम सीधा बैठते हैं, दायी नाक को बंद करते हैं, बायीं नाड़ी से स्वास को अंदर लेते हैं, बायीं को चन्द्रसर व दाहिने को सुर्यसर कहते हैं,
अनुलोम – विलोम प्राणायाम से वात – पित्त – कफ दोष का शमन होता हैं !
शारीरक, मानसिक व भवनात्मक संतुलन होता हैं ! दायी नाक बंदकर बाये से धीरे – धीरे श्वास भरे फिर दाये से छोड़े, फिर दाये से ले बाये से छोड़े !
ढाई सेकंड में साँस ले और ढाई में छोड़े ! एक राउंड 5 मिनट का का होता हैं ! समान्य अवस्था में 15 मिनट और असाध्य रोगों में 30 मिनट तक करे !
आधा –आधा घंटा करने से कई रोगी, रोग मुक्त हुवे हैं,
8 प्राणायामो में से यह दो प्राणायाम करे तो अनुलोम – विलोम, कपालभाती,
को सामान्य रोगों में कर लिया जाये तो देह में कोई रोग नही रहेगा !

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