मणिमहेश कैलाश यात्रा 2024 || करिये मणि दर्शन || manimahesh Kailash yatra 2024
Aman rawat Aman rawat
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 Published On Aug 28, 2024

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Jai mahadev ji 🙏🏻

मणिमहेश पंच कैलाशों में से एक है जो हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में है
माना जाता है कि भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा का निवास स्थान मणिमहेश क्षेत्र में है। कैलाश को भगवान शिव का स्वर्गीय क्षेत्र माना जाता है। मणिमहेश झील के रास्ते में, धनचो में एक झरना देखा जा सकता है जिसे भगवान विष्णु का स्वर्ग कहा जाता है। भरमौर शहर का दृश्य दिखाने वाला एक टीला ब्रम्हा के स्वर्ग के रूप में वर्णित है।

यहां मणिमहेश नाम से एक छोटा सा पवित्र सरोवर है जो समुद्र तल से लगभग 13,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।

मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह करने के बाद मणिमहेश कैलाश का निर्माण किया था इसके अतिरिक्त भगवान शिव जी ने यहां सात सौ वर्षों तक गहरी तपस्या की।

जैसा कि आज तक किसी भी इन्सान ने मानसरोवर कैलाश पर्वत की चढ़ाई नहीं की है, उसी तरह आज तक किसी भी व्यक्ति ने मणिमहेश कैलाश पर चढ़ाई नही की है।

पौराणिक कथा के अनुसार एक स्थानीय चरवाहे ने अपनी भेड़ो के झुंड के साथ कैलाश पर चढ़ने का प्रयास किया था लेकिन वह इस पर्वत पर चढ़ाई करते समय अपनी भेड़ो के साथ पत्थर में बदल गया।

स्थानीय निवासियों का मानना है की कैलाश पर्वत के पास में स्थित छोटी-छोटी पहाड़िया उस चरवाहे और उसकी भेड़ो के झुंड का अवशेष है।

माना जाता है कि भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा का निवास स्थान मणिमहेश क्षेत्र में है। कैलाश को भगवान शिव का स्वर्गीय क्षेत्र माना जाता है। मणिमहेश झील के रास्ते में, धनचो में एक झरना देखा जा सकता है जिसे भगवान विष्णु का स्वर्ग कहा जाता है। भरमौर शहर का दृश्य दिखाने वाला एक टीला ब्रम्हा के स्वर्ग के रूप में वर्णित है।

कहा जाता है कि माता भरमाणी का मंदिर भी चौरासी परिसर में ही था। जिस कारण रात के समय पुरुषों के विश्राम को निषेध किया गया था। उस दौरान चौरासी सिद्धों का एक दल मणिमहेश यात्रा पर जा रहा था। अंधेरा होने के कारण चौरासी सिद्धों ने चौरासी परिसर में रात विश्राम करने का निर्णय लिया। यह देख माता भरमाणी उन्हें श्राप देने लगी तो उनके मुखिया जोकि स्वयं भगवान शंकर थे वहां आए भगवान शंकर को देख माता भरमाणी का क्रोध शांत हो गया। और क्षमा मांगी और परिसर में रात के समय पुरुषों के आगमन निषेध होने की बात कही। फिर वहां से विलुप्त होकर यहां से 3km दूर साहर नामक स्थान पर प्रकट हुईं।
जिसके बाद भगवान शंकर ने माता भरमाणी को वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति मेरे दर्शन के लिए मणिमहेश आएगा, वह पहले माता भरमाणी के दर्शन करेगा, तभी उसकी यात्रा सफल होगी. कहा जाता है कि
यात्रा के लिए चौरासी मंदिर के दर्शन भी जरूरी हैं।

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