Glimpse of Bishari Puja 2023 , Bhikhanpur Gumti no. 2 Bhatta Road ,Bhagalpur Bihar
Pooja Rai Sawan Pooja Rai Sawan
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 Published On Aug 21, 2023

बिहार के अंग प्रदेश में (आज के भागलपुर, मुंगेर) आज भी पौराणिक काल से चली आ रही बिहुला-विषहरी पूजा की परंपरा कायम है. बिहुला-विषहरी में माता मनसा की पूजा की जाती है. मां मनसा को शिव पुत्री और महादेव के गले में हार बने बैठे वासुकी की बहन कहा जाता है. अंग प्रदेश के चंपानगर की बिहुला विषहरी कहानी की पौराणिक मान्यताएं हर ओर फैली हुई हैं. इसके तथ्य विक्रमशिला के अवशेषों में भी मिलते हैं. जानिए क्या है इसकी पूरी कहानी….

अंग प्रदेश में चंद्रधर ( चांदो )सौदागर रहते थे. वह चंपानगर के एक बड़े व्यवसायी थे. वे एक परम शिवभक्त भी थे. विषहरी जो भगवान शिव की पुत्री कही जाती हैं ने चंद्रधर पर दबाव बनाया कि वे शिव की पूजा न करें बल्की उसकी पूजा करें. लेकिन चंद्रधर राजी नहीं हुए. इसके बाद आक्रोशित विषहरी ने सौदागर के पूरे परिवार को खत्म करना शुरू कर दिया. सौदागर के छोटे बेटे जिनका नाम बाला लखेंद्र था की शादी बिहुला से हुई थी. उसके प्राण की रक्षा के लिए सौदागर ने लोहे-बांस से एक घर बनाया ताकि उसमें एक भी छिद्र न रहें. विषहरी ने उसमें भी प्रवेश कर लखेन्द्र को डस लिया. सती हुई बिहुला अपने पति के शव को केले के थम से बने नाव में लेकर गंगा के रास्ते स्वर्गलोक तक चली गई. इसके बाद वो पति का प्राण वापस लेकर लौटी. सौदागर भी विषहरी की पूजा के लिए राजी हुए लेकिन बाएं हाथ से तब से आज तक विषहरी पूजा में बाएं हाथ से ही पूजा होती है. सौदागर का बेटे के लिए बनाया हुआ घऱ आज भी चंपानगर में स्थित है.


बाला लखेंद्र के पिता व सती बिहुला के ससुर चंद्रधर सौदागार भगवान भोलेनाथ की बात सुनकर मनसा देवी को पूजा देने को राजी हुए. चंद्रधर ने पूजन के लिए कलश स्थापित किया. इस दौरान स्वर्ग लोक से जया विषहरी, दुतिला विषहरी, पद्मा कुमारी, आदिकसुमिन व मैना विषहरी वहां पहुंच गईं. कलश पर पांचों बहन विषहरीकलश पर विराजमान हो गई. कुम्हार देवानंद ने बताया कि इसलिए प्रतीक के रूप में कलश पर पांचों बहन विषहरी की आकृति बनाई जाती है. चंद्रधर सौदागर द्वारा पूजन की परंपरा आज भी जारी है.

Puja celebrated on 17 August every year



Location : Bishari Asthan , Bhikhanpur, Bhatta Road , Bhagalpur Bihar
Video creator : Sawan Kumar Rai

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