गणेश जी के वाहन चूहे की कहानी
DINU DINU
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 Published On Premiered Sep 21, 2024

भगवान गणेश के साथ जुड़ी हर चीज का अपना विशेष प्रतीकवाद और गहरा अर्थ है, और उनका वाहन, चूहा, भी इसका अपवाद नहीं है। गणेश जी का वाहन चूहा कई मायनों में अद्वितीय और दिलचस्प है। यह कहानी हमें सिखाती है कि कैसे एक छोटे से प्राणी को भी अपनी शक्ति और महत्व का एहसास होता है, और वह महान कार्य कर सकता है। आइए जानते हैं, चूहे को गणेश जी का वाहन कैसे मिला।

चूहे का गणेश जी का वाहन बनने की कहानी:
पुराणों में इस बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। उनमें से एक लोकप्रिय कथा इस प्रकार है:

सिंदुरासुर की कथा:
बहुत समय पहले एक सिंदुरासुर नाम का एक शक्तिशाली असुर था। उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त था कि उसे कोई भी देवता नहीं हरा सकेगा। वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने लगा और देवताओं को परेशान करने लगा। उसकी आतंक से परेशान होकर देवताओं ने भगवान गणेश से प्रार्थना की कि वे उन्हें इस असुर से बचाएं।

भगवान गणेश ने सिंदुरासुर से युद्ध किया और अंततः उसे पराजित कर दिया। पराजित होने के बाद, सिंदुरासुर ने भगवान गणेश से क्षमा मांगी और प्रायश्चित किया। भगवान गणेश ने उसकी भक्ति देखकर उसे क्षमा कर दिया, लेकिन उसे अपने वाहन के रूप में स्वीकार कर लिया। इस प्रकार, सिंदुरासुर एक चूहा बन गया और गणेश जी का वाहन बना।

मूषक का राजा बनना:
दूसरी कथा के अनुसार, एक समय में एक महान ऋषि ने एक मूषक (चूहा) को श्राप देकर विशाल रूप में परिवर्तित कर दिया। यह विशालकाय मूषक हर जगह उथल-पुथल मचाने लगा। एक दिन, जब वह ऋषि के आश्रम में गया, तो भगवान गणेश वहां उपस्थित थे। गणेश जी ने अपने लड्डुओं से उस मूषक को लुभाया और उसे पकड़ लिया। मूषक ने गणेश जी से माफी मांगी, और तब भगवान गणेश ने उसे श्राप से मुक्त किया और उसे अपने वाहन के रूप में अपना लिया।

प्रतीकवाद:
गणेश जी का वाहन चूहा बहुत महत्वपूर्ण प्रतीक है। एक ओर जहां भगवान गणेश ज्ञान, बुद्धि और शक्ति के प्रतीक हैं, वहीं दूसरी ओर चूहा उन चीजों का प्रतिनिधित्व करता है जो छोटी, नगण्य या अवांछनीय मानी जाती हैं। लेकिन जब भगवान गणेश जैसे देवता चूहे को अपने वाहन के रूप में अपनाते हैं, तो यह यह संदेश देता है कि जीवन में हर चीज का अपना महत्व है, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो।

चूहा, जो जमीन के नीचे छेद बनाकर प्रवेश करता है और हर जगह पहुंच जाता है, वह सभी बाधाओं को पार करने की क्षमता का प्रतीक है। इसी प्रकार, गणेश जी विघ्नहर्ता हैं और अपने भक्तों के जीवन की सभी बाधाओं को दूर करते हैं।

निष्कर्ष:
गणेश जी और उनके वाहन चूहे की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हर जीव, चाहे वह कितना ही छोटा या कमजोर क्यों न हो, उसका जीवन में अपना स्थान और महत्व होता है। भगवान गणेश का चूहा वाहन हमें यह भी सिखाता है कि जीवन की छोटी-छोटी बाधाओं को पार करने के लिए हमें धैर्य, समर्पण और बुद्धिमानी का सहारा लेना चाहिए। यही कारण है कि गणेश जी को "विघ्नहर्ता" कहा जाता है, और उनका वाहन चूहा भी इस प्रतीकवाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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