Published On Feb 22, 2021
राग बसंत ।। जयदेव कृत अष्टपदी
ललित लवंग लता परिशीलन कोमल मलय समीरे ॥ मधुकरनिकर करंबित कोकिल कूजित कुंज कुटीरे ॥१ ॥ विहरति हरिरिह सरसवसंते ॥
नृत्यति युवति जने न समं सखि विरहि जनस्य दुरंते ॥ध्रु०॥ उन्मद मदन मनोरथ पथिक वधूजनजनित विलापे ॥
अलिकुल संकुल कुसुम समूह निराकुल बकुल कलापे ॥२॥ मृगमद सौरभरभस वशं वदनवदल मालत माले ॥
युवजन हृदय विदारण मनसिजनखरुचि किंशुक जाले ॥३॥मदन महीपति कनक दंड रुचि केसर कुसुम विकासे ॥
मिलित शिलीमुख पाटपिटल कृत स्मरतूण विलासे ॥४॥ विगलित लज्जित जगदब लोकन तरुण करुण कृतहासे ॥
विरहि निकृंतन कुंत मुखाकृति केतकिदंतुरिताशे ॥५॥ माधविका परिमल ललिते बनमालिक याति सुगंधी ॥ मुनिमनसामपि मोहन कारिणि तरुणा कारण बंधी ।॥६॥ स्फुरदति मुक्तलता परिरंभण मुकुलित पुलकितचूते ॥
वृंदावन विपिने परिसर परिगत यमुनाजल अति पूते ॥७॥ श्रीजयदेव भणितमिदमुदयति हरिचरण स्मृतिसारं ॥
सरस वसंत समय वनवर्णनमनुगत मदन विकारं ॥८॥
डॉ भगवान दास कीर्तनकार, कामवन
(अष्टसखा श्रीगोविंददासजी के वंशज)
मोबाइल नं.9828737151
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