@एकादशी के दिन भजन संध्या एवं जागरण समारोह
Krishna kavya Krishna kavya
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 Published On Jul 18, 2024

@एकादशी के दिन भजन संध्या एवं जागरण समारोह आयोजित किया गया

@Tulsi
@Dev Uthani


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एकादशी के दिनो


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एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भगवान विष्णु की कृपा मिलती है. एकादशी के दिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए:
एकादशी के दिन तामसिक चीज़ें जैसे मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज़, मसूर की दाल, चावल, गोभी, पालक, शलजम, और गाजर नहीं खानी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल में सभी पाप होते हैं, इसलिए इसे नहीं खाना चाहिए.
एकादशी के दिन भगवान काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए.
पूजा में चढ़ाने के लिए तुलसी की पत्तियां एक दिन पहले ही तोड़ कर रख लेनी चाहिए.
एकादशी के दिन बाल, नाखून आदि नहीं कटवाने चाहिए.
व्रत रखने वाले को किसी दूसरे के द्वारा दिया गया अन्न दान में नहीं लेना चाहिए और न ही खाना चाहिए.
एकादशी के दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए.
एकादशी तिथि के दिन पान खाना, चोरी करना, हिंसा करना, क्रोध करना, मैथुन, स्त्रीसंग, कपट आदि चीज़ों से बचना चाहिए. अगर कोई गलती हो जाए, तो उसके लिए माफ़ी मांगनी चाहिए.






देवशयनी एकादशी
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी
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हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर २६ हो जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को 'पद्मनाभा' भी कहते हैं। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है। इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर उन्हें उठाया जाता है। उस दिन को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है।

देवशयनी एकादशी

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