पांखु पिथौरागढ में माँ कोटगाडी का प्रसिद्ध मंदिर
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 Published On Sep 7, 2023

कोटगाड़ी मुख्य मंदिर के अंदर जल की धारा बहती है जिसकी आवाज कानों में रस घोलती है। आपको बता दें कि यह मंदिर न्याय की देवी के रूप में प्रतिष्ठित है। कुमाऊं के अन्य कई न्यायकारी मंदिरों की भांति यहां भक्त अपनी आपदा-विपदा, अन्याय, असमय कष्ट व कपट के निवारण के लिये पुकार लगाते हैं।

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पांखू में देवी का अनोखा और अलौकिक मंदिर मौजूद है जिसे कोटगाड़ी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। बेरीनाग और डीडीहाट के बीच पूर्वी रामगंगा के तट पर मौजूद थल का पुल पार कर चौकोड़ी और कोटमन्या जैसे सुरम्य प्राकृतिक स्थलों की गोद में बसे पांखू नामक स्थान पर सड़क से 200 मीटर ऊपर प्रसिद्ध कोटगाड़ी देवी माता का मंदिर स्थित है।

कोटगाड़ी के मुख्य मंदिर के साथ बागादेव के रुप में पूजित दो भाइयों सूरजमल और छुरमल का मंदिर है। मंदिर के अहाते में हवन कुंड व धूनी है। मंदिर के सामने बने कमरों में साधुओं के ठहरने की सुविधा है।

लोक विश्वास है कि भगवती-वैष्णवी के दरबार में पांचवीं पुश्तों तक का निर्णय-न्याय मिलता है। इस बात को लेकर अनेक किवदंतियां भी हैं, पहले देवी के सामने अपने प्रति हो रहे अन्याय की पुकार व घात लगाने की प्रथा थी। अब अपनी विपदा को पत्र व स्टाम्प पेपर में लिख कर देने का प्रचलन बड़ गया है। कोटगाड़ी देवी के मुख्य सेवक भंडारी ग्वल्ल हैं। यह मंदिर चंद राजाओं के समय में स्थापित बताया जाता है और मंदिर बनाने को लेकर स्वप्न में स्थानीय निवासियों को इस मंदिर की स्थापना का आदेश मिला था। हर वर्ष चैत्र व अश्विन मास की अष्टमी को तथा भादों में ऋषि पंचमी को मंदिर में मेला लगता है।

यहां पहुंचने के लिए पिथौरागढ से थल की और अल्मोड़ा से बेरीनाग कोटमन्या, और बागेश्वर से कोटमन्या से पांखु पहुंच सकते हैं

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