22 सितम्बर 24 I श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र - पार्ट- 4 -Dr.Samkit Muniji M.S. live
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 Published On Streamed live on Sep 21, 2024

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पुण्य से अवसर मिला है तो जिंदगी में किसी एक सुदामा के कृष्ण जरूर बन जाना-समकितमुनिजी

ग्रेटर हैदराबाद संघ के तत्वावधान में चार दिवसीय श्री कृष्ण-सुदामा चारित्र का समापन

छह घंटे तक मंगलकारी उवसग्गर स्रोत की आराधना

हैदराबाद, 22 सितम्बर। पुण्य से आपको अवसर मिला है तो तीन खण्ड के श्रीकृष्ण भले न बन सको पर जिंदगी में किसी एक सुदामा के लिए कृष्ण जरूर बन जाना। हम अपनी संतानों के लिए कितना भी कर ले फिर भी यहीं कहेंगे कि हमारे लिए कुछ नहीं किया है लेकिन जिस सुदामा के कृष्ण बन जाओंगे वह जीवन भर आपके गीत गाएगा। यह सुदामा हमारे रिश्तेदारी में, मित्रों में, समाज बंधुओं में कहीं भी हो सकता है। सुदामा स्वाभिमानी होता है वह हाथ नहीं फैलाएगा हमे ही आगे बढ़कर उसकी सहायता करनी होगी। उसे पहचाने ओर उसका कृष्ण बनने का प्रयास करे। ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में रविवार को चार दिवसीय विशेष प्रवचनमाला श्रीकृष्ण-सुदामा चारित्र के अंतिम दिन व्यक्त किए। प्रवचन के बाद स्थानक परिसर में ही छह घंटे तक मंगलकारी उवसग्गर स्रोत की आराधना भी की गई। प्रवचन में समकितमुनिजी ने कहा कि हम अपने जीवन में जो समय मिला है उसका कुछ हिस्सा भी धर्म में निवेश करेंगे तो जो रिर्टन मिलेगा उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। जीवन में जो समय धर्म में बीतता है वहीं सार्थक है। हम धन की कमाई वाले समय को सफल मानते है जबकि किस्मत तभी चमकती है जब धर्म की आमदनी होती है। मुनिश्री ने कहा कि जो समझने के लिए तैयार नहीं होता उसके लिए 32 आगम भी कम पड़ जाते है ओर जो समझदार होता है उसके लिए इशारा ही काफी होता है। उन्होंने श्रीकृष्ण के दुर्योधन का भोजन आमंत्रण स्वीकार नहीं करने के प्रसंग का जिक्र करते हुए कहा कि भोजन का समय वहीं श्रेष्ठ होता है जब कराने वाले के मन में प्रेम व प्रीति के भाव है। बिना प्रीति जो भोज करते कराते है वह प्रीतिभोज नहीं हो सकता। प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्तमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘अरे द्धारपालों कन्हैया से कह दो’’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा.का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में चैन्नई,पूना,भीलवाड़ा आदि क्षेत्रों से पधारे श्रावक-श्राविका भी मौजूद थे।

छह घंटे तक मंगलकारी उवसग्गर स्रोत की आराधना

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति में रविवार सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक छह घंटे तक मंगलकारी उवसग्गर स्रोत की आराधना की गई। आराधना के माध्यम से सर्वमंगल व सुखशांति की कामना की गई। मुनिश्री ने कहा कि जो सच्चे भावों के साथ इस आराधना को कर लेता है उसके जीवन से विध्न बाधाएं दूर होती है। आराधना को सफल बनाने में श्रीसंघ के साथ उसके महिला व युवा संगठनों ने भी सक्रिय सहभागिता निभाई।

दक्षिण प्रवास के बाद भीलवाड़ा चातुर्मास की विनती

धर्मसभा में समकितमुनिजी म.सा. के वर्ष 2022 में भीलवाड़ा चातुर्मास के दौरान श्रीसंघ के मंत्री रहे सुश्रावक राजेन्द्र सुराणा ने भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उस एतिहासिक चातुर्मास को आज भी लोग याद करते है ओर उस समय जो धर्म भक्ति की गंगा प्रवाहित हुई वह इतिहास बन गई है। उन्होंने कहा कि भीलवाड़ावासियों की यहीं भावना है कि समकितमुनिजी दक्षिण प्रवास के बाद पुनः भीलवाड़ा चातुर्मास कर धर्म की गंगा बहाए। आपके चातुर्मास की भीलवाड़ावासी प्रतीक्षा कर रहे है। चैन्नई से श्रीसंघ लेकर पधारे दुग्ग्ड़ परिवार की बालिकाओं ने भी गीतिका की प्रस्तुति दी।

सात दिवसीय विशेष प्रवचनमाला एकाउन्ट ऑफ कर्म कल से

कर्म विज्ञान समझाने की दृष्टि से सात दिवसीय विशेष प्रवचनमाला एकाउन्ट ऑफ कर्म सोमवार 23 सितम्बर से शुरू होगी। इसके माध्यम से जीवन में कर्म का क्या असर होता है इस पर चर्चा होगी। इसी तरह 29 सितम्बर को व्रति श्रावक दीक्षा समारोह होगा। इसमें श्रावक-श्राविकाएं 12 व्रत में से न्यूनतम एक व्रत की दीक्षा ग्रहण करेंगे। चातुर्मास में 2 अक्टूबर को सवा लाख लोगस्स की महाआराधना होगी। आयम्बिल तप के महान आराधक पूज्य गुरूदेव भीष्म पितामह राजर्षि सुुमतिप्रकाशजी म.सा. की जयंति 9 अक्टूबर को आयम्बिल दिवस के रूप में मनाई जाएगी।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

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