Published On Sep 6, 2024
जब भगवान शिव हुए मोहित भगवान विष्णु के मोहिनी रूप से। bhagwan Shiv hue Mohit. विष्णु पुराण।
समुद्र मंथन से निकला अमृत कलश दैत्य एक दूसरे के हाथों सेछीन रहे थे, इसी बीच एक मनोरम स्त्री उनके बीच में चली आई।सभी उस मनोरम स्त्री के सौन्दर्य को देख हठात् मोहित हो गए,वे सभी आपस का झगड़ा भूल कर, उन मनोरम स्त्री के पास दौड़कर गए। दैत्यों ने देवी से पूछा तुम कौन हो? कहां से आई हो?सुंदरी तुम क्या करना चाहती हो? देवी को देख कर देत्यों के बीचखलबली मच गई। दैत्य कहने लगे ! अबतक देवता, दैत्य, सिद्ध,गन्ध्व, चारण और लोकपालों ने तुम्हें स्पर्श तक नहीं किया होगा,अवश्य ही िधाता ने तुम्हें सम्पूर्ण इन्द्रियों एवं मन को तृप्त करनेके लिये भेजा होगा। सुंदरी! तुम हमारा झगड़ा मिटा दो। तुम न्यायअनुसार निष्पक्ष भाव से इस अमृत को बांट दो, जिससे हम लोगोंमें और अधिक झगड़ा न हो।
वास्तव में श्री हरि विष्णु योगमाया शक्ति से युक्त हो, मोहिनीअवतार धारण किए हुए दैत्यों के पास गए थे, योगमाया शक्ति केप्रभाव से तीनों लोकों में ऐसा कोई भी नहीं हैं जिसे वश में नहींकिया जा सकता हैं, यही योगमाया शक्त 'आदि शक्ति' हैं।
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