Published On Sep 18, 2019
यह स्तुति माँ जगदम्बा के परम भक्त श्री रविदत्त बहुगुणा द्वारा लिखी गई है । मैंने पहली बार इस स्तुति को हिमालयन फिल्म्स के लिए गाया । इस स्तुति में कई अशुद्धियां(प्रिंट के कारण) थी जिसे मेने ठीक करने की कोशिश की है ।फिर भी यदि इसमें कोई त्रुटि रह गई हों तो क्षमा करें ,आपको अच्छी लगे तो कृपया शेयर करें और मेरे चेनल को सब्सक्राइब भी करें ।धन्यवाद ।
दुर्गा दुर्गा वर दे हमको दिन रात रटूँ मनसे तुमको।
दिन रात रहूँ नयनों में तेरे पद भक्ति रहे तव ध्यान मेरे।।
तव झांकी रहे मम् ध्यान रहे सिहांसन में भलि मूर्ति रहे ।
हर वक्त घड़ी रहे ध्यान तेरा प्रति सांस करूँ गुणगान तेरा।।
मन में न धरो अपराध मेरा दया मूरति माँ जग नाम तेरा।
तुमरे भरोसे पर जिंदगी है तुमरे चरणों पर बंदगी है ।।
कछु मंत्र नहीं कछु तंत्र नही कछु पाठ नही कछु जाप नहीं।
गिरिजा मन मन मंदिर में झलको बिजुली सम मंदिर में दमको।।
इतना भरोसा बस है हमको कभी याद रहे हमरी तुमको।
कभी पूजन में नहीँ प्रेम किया नहीं पाद सरोज में ध्यान दिया।।
नहीं मंत्र जपा नहीं पाठ किया माता तुमको नहीं पुष्प दिया।
माता तुम ही जग सायक हो जननी तुम ही मम पालक हो ।।
बिन भक्ति दिया धन धाम सभी सम्मान दिया नृप साज सभी
सकुटुम्ब रहूं चरणों में तेरे पद भक्ति भक्ति रहे तव ध्यान मेरे।
तन में मन में धन में तुम हो घर मे बन में सब ही तुम हो।
जब नाम लिया तभी पार किया मन के दुख को सब दूर किया।।
सब आयु गई किये पाप बहुत तुम देख रही छिप के क्या रहूँ।
धन पुत्र सभी जग के ही भले नहीं आतम के कोई साथ चले।।
जन्म मरण मेरे कोटि हुए परिवार घर जग कोटि हुए।
भव के दुख से तन सूख गया रख पाद सरोज में कीन्ही दया।।
त्रय लोचन से त्रय लोक हुए हर विष्णु सभी अज देव भये।
शिव की प्रिय हो रमा हो हरि की तुम रोशनी माँ भव में रवि की ।।
सब जीवन की तुम जीवन मां जड़ चेतन की तुम आतम माँ।।
सब के घट में तुम मोहिनी हो सब कर्मन की तुम लेखनी हो।
जटा में शिव की तुम जान्हवी हो जननी हरि की तुम देवकी हो।
सब देवत जी लिए शरण तेरी चरणों में तेरे अब लाज मेरी ।
शिव ब्रह्म हरि रहे ध्यान तेरे तीनो लोक बसे नयनों में तेरे ।
भव सागर से कर पार शिवा रविदत्त जपे तव नाम शिवा।।
दुर्गा स्तुति जो पढ़े नर पावे धन धाम
मन चाहे फल पायके सिद्ध होय सब काम।।
जय माँ
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