Published On Premiered Oct 8, 2024
उत्तराखण्ड के गढ़वाल क्षेत्र में ढोली या बाजगी या औजी या दास आम तौर पर पढ़े-लिखे नहीं होते थे, लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इन ढोलियों में एक दौर में 'शास्त्रार्थ' जैसी परम्परा हुई करती थी। जब भी किसी गांव में सार्वजनिक 'मण्डाण' का आयोजन होता तो पण्डो वार्ता लगाने वाले ढोली के ज्ञान की परख इसी 'शास्त्रार्थ' परम्परा में होती थी। इस वीडियो में पौड़ी गढ़वाल ज़िले के एक नामी ढोली लक्ष्मण दास उर्फ लच्छू दास बता रहे हैं पुराने ज़माने का एक दिलचस्प किस्सा, जब एक धाकड़ ढोली के आगे ढोल शास्त्र के बड़े-बड़े सूरमा नतमस्तक हो गए। लेकिन उस धाकड़ ढोली को भी एक दिन चैलेंज मिला। लच्छूदास से बातचीत का यह दूसरा एपिसोड है जिसमें आपको गढ़वाल की ढोल परम्परा के समृद्ध अतीत की बानगी दिखेगी।
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/ @manupanwar