श्री काशी विश्वनाथ धाम शयन आरती | Shri Kashi Vishwanath Dham Shayan Aarti | Rare Video of Aarti
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 Published On Dec 14, 2021

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About this video:
न जाने कबसे चली आ रही श्री काशी विश्वनाथ की शयन आरती को आपने इस रूप में कभी नहीं देखा होगा!
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की दूरदृष्टि से यह आरती अब अद्भुत रूप धारण करेगी!!

Lyrics (Credit: Ayush Saraf)
जय देव जय देव जय हरिहरा, ॐ जय हरिहरा । हे गङ्गाधर गिरिजावर, गङ्गाधर गिरिजावर ।
हर शिव ॐकाराऽ । हर-हर-हर-महादेव ॥१॥
जय देव जय देव जय हरिहरा.......॥
लक्ष्मीवर उमयावर शङ्कर साँवरिया, ॐ शङ्कर साँवरिया । हे शिवहर नटवर साधु, शिवहर नटवर साधु ।
नीलकण्ठ उमयाऽ । हर-हर-हर-महादेव ॥२॥
नन्दी-वाहन-खगवाहन त्रिशूलधारी, ॐ जय त्रिशूलधारी । त्रिपुरारी हे मुरारी, त्रिपुरारी हे मुरारी ।
जय कमलाधारी । हर-हर-हर-महादेव ॥३॥
पीताम्बर बाघाम्बर शिव स्वामी पहिने, ॐ शिव स्वामी पहिने । हे कमला-नयना देखो, कमला-नयना देखो ।
शिव के त्रिनयनाऽ । हर-हर-हर-महादेव ॥४॥
जय देवन् के देव शिवजी हालाहल, ॐ शिवजी हालाहल । हे कोटि महल के योगी, कोटि महल के भोगी ।
शोभे मुण्डमालाऽ । हर-हर-हर-महादेव ॥५॥
चन्दनचर्चित तिलकं शिव शम्भो भस्मी अङ्गे हो, ॐ जय भस्मी आङ्गे । हे रामा हॄदया रखते, रामा हॄदया रखते ।
उमया अर्धङ्गेऽ । हर-हर-हर-महादेव ॥६॥
हरि वसते वैकुण्ठे श्म्भो जी कैलासे, ॐ शिवजी कैलासे । हे हर गोरा हरि काला, शिव गोरा हरि काला ।
जापर मन भावेऽ । हर-हर-हर-महादेव ॥७॥
देवन में महादेव जय सुन्दर साधू, ॐ जय सुन्दर साधू । हे हरि-हर नाथ विधाता, शिवहर नाथ विधाता ।
निज जरणन राखोऽ । हर-हर-हर-महादेव ॥८॥
एकहि एक सरूप अन्तर ना राखो, ॐ अन्तर ना राखो । हे साधू हरि को भजता, साधू शिव-शिव जपता ।
भवसागर तरताऽ । हर-हर-हर-महादेव ॥९॥
शिवजी के हृदयकमल में वास तुम्हारो बसिया रघुराया, हो बसिया रघुरायाऽ ।
हे सेवत हैं संतन और साधू, सेवत हैं संतन और साधू ।
जापर हरिदायाऽ। हर-हर-हर-महादेव ॥१०॥
जय शिव ॐकारा, हो बाबा भज शिव ॐकाराऽ । त्रिशूल डमरू शोभय, त्रिशूल डमरू शोभय ।
शोभय मुण्डमालाऽ । ॐ हर-हर-हर-महादेव ॥११॥
ॐ जय हर-हर महादेव जय शिव ॐकारा, हो मन भज शिव ॐकारा । त्रिशूल डमरु शोभय, त्रिशूल डमरु शोभय । शोभय मुण्डमालाऽ । ॐ हर-हर-हर-महादेव ॥१२॥
हे शिव के ऊपर सोना सोहे नन्दी वाहना, बाबा नन्दी वाहना । हे नीलकण्ठ त्रिपुरारी, नीलकण्ठ त्रिपुरारी ।
भक्तन मन मोहाऽ । ॐ हर-हर-हर-महादेव ॥१३॥
हे जटाधारी शङ्कर शिव दानी भोला, हो बाबा हर दानी भोला । हो भोले भस्मी शम्भो, भोले भस्मी शिवजी ।
भक्तन मन मोहाऽ । ॐ हर-हर-हर-महादेव ॥१४॥
॥ कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् । सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ॥

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