ग़ौसे आज़म का वाक़िआ
Garhwa official update Garhwa official update
612 subscribers
117 views
7

 Published On Oct 6, 2024

👉 Msg prepared by 👈
ⓩⓔⓑⓝⓔⓦⓢ
01/04/1446

हिन्दी/hinglish ग़ौसे आज़म-1
===============================

नाम अब्दुल क़ादिर
लक़ब मोहिउद्दीन (दीन को ज़िंदा करने वाला)
वालिद अबु सालेह मूसा (जंगी दोस्त)
वालिदा उम्मुल खैर फातिमा
विलादत 1/9/470 हिजरी,जीलान
विसाल 11/4/561 हिजरी,बग़दाद
बीवियां 4
औलाद 49
महज़ब हम्बली

आप पैदाईशी वली हैं,आप हसनी हुसैनी सय्यद हैं,आपकी विलादत के वक़्त आप की वालिदा की उम्र 60 साल थी,आप बचपन में माहे रमज़ान मुबारक में दिन भर दूध नहीं पीते थे,आपकी तक़रीर में 60000,70000 का मजमा हो जाता था,आपके बदन पर कभी मक्खी नहीं बैठी,आपने 1 ही वक़्त में 70 लोगों के यहां अफ्तार किया,तमाम उम्मत का इज्माअ है कि आप ग़ौसे आज़म हैं,आप फरमाते हैं कि मेरी नज़र हमेशा लौहे महफूज़ पर लगी रहती है,आप फरमाते हैं कि मुरीद को हर हाल में अपने पीर की तरफ ही रुजू करना चाहिये अगर चे वो करामत से खाली भी हुआ तो क्या हुआ मैं तो खाली नहीं हूं उसके तवस्सुल से मैं उसे अता करूंगा,आपसे बेशुमार करामते ज़ाहिर है

📕 तारीखुल औलिया,सफह 24-54
📕 अलमलफूज़,हिस्सा 3,सफह 56
📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,पेज 129

बचपन की कुछ करामतें

1 जब आप मां के पेट में ही थे तो एक साइल ने आकर सदा लगाई उस बदबख्त ने जब देखा कि औरत अकेली है तो अंदर घुसा चला आया,उसी वक़्त ग़ैब से एक शेर नमूदार हुआ और उस खबीस को चीर-फाड़ कर गायब हो गया

📕 महफिले औलिया,सफह 211

2 जिस साल आप पैदा हुए तो पूरे जीलान में 1100 बच्चे पैदा हुए और सब लड़के ही थे और सब के सब अल्लाह के वली हुए

📕 हमारे ग़ौसे आज़म,सफह 59

3 जब आपकी दूध पीने की उम्र थी तो अक्सर आप दाई की गोद से गायब हो जाते और फिर कुछ देर बाद आ भी जाया करते,जब आप कुछ बड़े हुए तो एक दिन आपकी दाई ने पूछा कि बेटा अब्दुल क़ादिर ये बताओ जब तुम छोटे थे तो अक्सर मेरी गोद से गायब हो जाते थे आखिर तुम जाते कहां थे,तो हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि दाई मां मैं आपसे खेलने की गर्ज़ से सूरज के पीछे छिप जाता था जब आप मुझे ढूंढती और ना पातीं तो फिर मैं खुद ही
आ जाया करता,तो वो फरमातीं हैं कि क्या अब भी आपका वही हाल है तब हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि नहीं नहीं वो तो मेरे बचपन और कमज़ोरी का आलम था अब तो हाल ये है कि उस जैसे हज़ारों सूरज अगर मुझमे समा जायें तो कोई ढूंढ़ने वाला उन्हें ढूंढ़ नहीं सकता कि कहां खो गये

📕 हमारे ग़ौसे आज़म,सफह 211

4 जब आप 4 साल के हुए तो आपकी वालिदा माजिदा ने बिस्मिल्लाह ख्वानी के लिए आपको मक़तब में भेजा जहां आपके उस्ताद ने फ़रमाया कि बेटा पढ़ो "बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम" तो आपने बिस्मिल्लाह से जो पढ़ना शुरू किया तो पूरे 18 पारा पढ़कर सुना दिए,उस्ताद ने हैरत से पूछा कि बेटा ये आपने कब और कहां से सीखा,तो हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मेरी मां 18 पारों की हाफिज़ा हैं जिसे वो अक्सर विर्द किया करती हैं तो मैंने उनके पेट में रहते हुए सब सुनकर याद कर लिए

📕 शाने ग़ौसे आज़म,सफह 15

ⓩ और ये बात हक़ीक़त है कि बच्चा जब मां के पेट में 4 महीने का होता है तो उसके अंदर रूह फूंक दी जाती है,और बिला शुबह वो अपने मां-बाप की हरकतों से ही तरबियत पाता है,अगर आज बच्चे बेहया और नालायक़ पैदा हो रहे हैं तो कहीं ना कहीं उसकी वजह उसके मां-बाप ही हैं,लिहाज़ा मुसलमान अगर चाहता है कि उसकी औलाद उसकी फरमा बरदारी करे तो सबसे पहले उसे अपने आपको बदलना होगा,जब उसके घर का माहौल इस्लामी होगा तो यक़ीनन उसकी औलाद भी नेक और सालेह पैदा होगी

===============================
To Be Continued
===============================

NAAM - ABDUL QADIR
LAQAB - MOHI UDDIN (DEEN KO ZINDA KARNE WALA)
WAALID - ABU SALEH MOOSA (JUNGI DOST)
WALIDA - UMMUL KHAIR FATIMA
WILADAT - 1/9/470 HIJRI,JILAAN
WISAL - 11/4/561 HIJRI,BAGHDAD
BIWIYAN - 4
AULAD - 49
MAHZAB - HAMBLI

Aap paidayishi wali hain,aap hasni husaini sayyad hain,aapki wiladat ke waqt aapki walida ki umr 60 saal thi,aap bachpan me maahe ramzan me din bhar doodh nahin peete the,aapki taqreer me 60000 70000 ka majma ho jaaya karta tha,aapke badan par kabhi makkhi nahin baithi,aapne ek hi waqt me 70 logon ke yahan roza aftaar kiya,tamam ummat ka ijmaa hai ki aap ghause aazam hain,aap farmate hain ki meri nazar hamesha lauhe mahfooz par lagi rahti hai,aap farmate hain ki mureed ko har haal me apne peer ki taraf hi ruju karna chahiye agar che wo karamat se khaali bhi hua to kya hua main to khaali nahin hoon uske tawassul se main use ata karunga,aapse beshumar karamatein zaahir hain

📕 Taarikhul auliya,safah24--54
📕 Almalfooz,safah 56
📕 Fatawa razviyah,jild 9,safah 129

*Bachpan ki ku
📕 Shaane ghause aazam,safah 15

ⓩ Aur ye baat haqiqat hai ki bachcha jab maa ke peit me 4 mahine ka ho jaata hai to uske andar rooh fook di jaati hai,aur bila shubah wo apne maa-baap ki harkaton se hi tarbiyat paata hai,agar aaj bachche behaya aur nalayaq paida ho rahe hain to kahin na kahin uski wajah uske maa-baap hi hain,lihaza musalman agar chahta hai ki uski aulaad uski farmabardaari kare to sabde pahle use apne aapko badalna hoga,jab uske ghar ka mahaul islami hoga to yaqinan uski aulaad bhi neik aur saaleh paida hogi

===============================
Don't Call Only WhatsApp 8299025429
NAUSHAD AHMAD "ZEB" RAZVI
ALLAHABAD
===============================

show more

Share/Embed