वसुधारा-स्वर्ग का रास्ता/पापी मनुष्य पर नहीं गीरता पवित्र जल
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 Published On Jun 16, 2022

वसुधारा-स्वर्ग का रास्ता/पापी मनुष्य पर नहीं गीरता इसका पवित्र जल
देवभूमी उत्तराखंड में कई रहस्मय और पवित्र स्थान हैं, जहां लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। धर्मिक तीर्थ स्थल के अलावा देवभूमी उत्तराखंड कई बेहद खूबसूरत झरनों के लिए जाना जाता है। यहां मौजूद झरने पहाड़ी इलाकों के नीचे झरते हुए हर पर्यटक के ऊपर अपनी एक अलग ही छाप छोड़तें है और प्रकति की अनदेखी खूबसूरती की झलक दिखाते हैं।यह स्थान बद्रीनाथ से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वसुधारा झरना है। जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। यह पवित्र झरना अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए है। वसुधारा झरना करीब 400 फीट ऊंचाई से गिरता है।

वसु' भगवान विष्णु के वासुदेव को दर्शाता है । धारा (संस्कृत में नदी) का अर्थ है "नदी का मार्ग", इसलिए " भगवान विष्णु का मार्ग "।
हिंदू धर्म में, किंवदंती कहती है कि लेवानिया एक 2 व्यक्ति की आत्मा है।यह वह स्थान भी है जहां ऋषि वेदव्यास ने वेदों को चार ऋग्, यजुर, साम और अथर्व में विभाजित किया था।

इस झरने का पानी पापियों के शरीर को नहीं छूता। इसी वजह से हिंदू इस झरने का पानी अपने साथ ले जाते हैं।कहा जाता है कि अगर इस झरने का पवित्र जल आप पर गिरने लगे तो आप पुण्यात्मा हैं। जिस पर यह गिरता है वह मोक्ष का अधिकारी माना जाता है और इस कारण भक्त इस पवित्र जलप्रपात के नीचे खड़े हो जाते हैं। 

इस झरने को अमृत जैसा स्वाद माना जाता है क्योंकि इसका पानी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से समृद्ध किया गया है , जिससे जिस व्यक्ति पर इसका पानी गिरता है वह स्वस्थ हो जाता है। हिंदू धार्मिक प्रथाओं में उपयोग करने के लिए अपने घरों में पवित्र जल रखते हैं।

पांडव स्वर्गारोहिणी यात्रा के रास्ते में एही से गुजरे ।सहदेव ने वसुधारा के पास अपने प्राण त्याग दिए।वे दो पहाड़ियों पर पहुँचे, लेकिन उन्हें पार नहीं कर सके। महाबली भीम उनमें से सबसे शक्तिशाली थे, इसलिए उन्होंने एक शिलाखंड उठाया और उसे दो पहाड़ियों के बीच फेंक दिया, जिससे एक विशाल पुल बन गया, जिससे वे स्वर्ग की ओर बढ़ते रहे। तवी से पुल को भेंपुल कहा जाता है।

पुराणों में अष्टवसु का वर्णन किया गया है , जिनमें से एक ने वहां तपस्या की थी। उन्होंने श्रीकृष्ण को अपने पुत्र के रूप में प्राप्त किया। वह द्वापर युग में नंद बाबा बने , वसुधारा नंद बाबा का पसंदीदा ध्यान स्थान है।
इसकी जलधारा गिरते समय मोतियों के समान नजर आती है। इस झरने की सुंदरता देखते ही बनती है। यहां आकर पर्यटकों को स्वर्ग में होने की अनुभूति होती है। यहां पहुंचकर पर्यटक अपनी थकान भूल जाते हैं। इस झरने की खासियत यह है की इसके नीचे जाने वाले हर व्यक्ति पर यह झरना नहीं गिरता है।

दूर दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं और इस अद्भुत और चमत्कारी झरने के नीचे खड़े होते हैं, बद्रीनाथ जाने वाले तमाम श्रद्धालु वसुधारा झरने को देखने जरूर आते हैं। यह झरना हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। दूसरे देशों के लोग भी वसुधारा फॉल्स को देखने के लिए आते हैं।
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