Published On Oct 3, 2022
पड़ी है धूप से गर्मी
लगी है प्यास अति भारी।
कही छाया दिखे नहीं
मै चलती नाथ अब हारी।
पड़े पैरों में हाय छाले
हुआ कांटों से खू जारे।
सूखे है होठ हाय स्वामी
मै तड़पु प्यास की मारी।
कहा होगा लखन पानी
मुझे पानी पीला दीज़े।
करो अब खोज जल्दी से
जो ही सीता तुम्हे प्यारी।
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