Published On Jul 8, 2021
इस मंत्र को प्रतिदिन पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना के लिए गाना चाहिए। भाव से जो कोई इसे प्रतिदिन मंदिर में गाता है, उसे अपनी पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
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क्षमा-प्रार्थना
अपराध सहसत्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि।१।
परमेश्वरि! मेरे द्वारा रात-दिन सहत्रों अपराध होते रहते हैं। ‘यह मेरा दास है’- यांे समझकर मेरे उन अपराधों को तुम कृपापूर्वक क्षमा करो।1।
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।।२।।
परमेश्वरि! मैं आवाहन नहीं जानता, विसर्जन करना नहीं जानता तथा पूजा करने का ढंग भी नहीं जानता। क्षमा करो ।2।
मन्त्र हीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।३।।
देवि! सुरेश्वरि! मैंने जो मन्त्रहीन, क्रियाहीन और पूजन किया है, वह सब आपकी कृपा से पूर्ण हो।।3।
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत्।
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः।।४।।
सैकड़ों अपराध करके भी जो तुम्हारी षरण में जा ‘जगदम्ब’ कह कर पुकारता है, उसे वह गति प्राप्त होती है, जो ब्रह्मादि देवताओं के लिए भी सुलभ नहीं है।4।
सापराधोऽस्मि षरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके।
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु।।५।।
जगदम्बिके! मैं अपराधी हूँ, किन्तु तुम्हारी षरण में आया हूँ। इस समय दया का पात्र हूँ। तुम जैसा चाहो, करो।5।
अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि।।६।।
देवि! परमेश्वरि! अज्ञान से, मूल से अथवा बुद्धिभ्रान्त होने के कारण मैंने जो न्यूनता या अधिकता कर दी हो, वह सब क्षमा करो और प्रसन्न हो।6।
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि।।७।।
सच्चिदानन्दस्वरूपा परमेश्वरि! जगन्माता कामेश्वरि! तुम प्रेम पूर्वक मेरी यह पूजा स्वीकार करो और मुझ पर प्रसन्न रहो।7।
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्।
सिद्विर्भवति मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि।।८।।
देवि! सुरेश्वरि! तुम गोपनीय से भी गोपनीय वस्तु की रक्षा करने वाली हो। मेरे निवेदन किए हुए इस जप को ग्रहण करो। तुम्हारी कृपा से मुझे सिद्धि प्राप्त हो।8।