इसलिए रहस्‍यमयी है भारत, क्‍योंकि ये हैं वो आठ लोग, जो हैं आज भी जीवित और माने जाते हैं अमर
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 Published On Aug 10, 2017

दुनिया भौतिक उन्नति करते हुए ब्रह्मांड का चक्कर लगा आए, मशीनें, यंत्र और तकनीक से सारा विश्व भर जाए, लेकिन इन सब के बीच यदि भारत, गाय, गोबर, ध्यान, योग, साधना, तपस्या, साधु, संत और समाधि ही में उलझा हुआ है, तो आप इसे उसका पिछड़ापन ना मानें, ये कतई नहीं मानें कि भारत एक अविकसित, गरीब और दरिद्र राष्ट्र है, बल्कि ये जानें कि भारत की धन संपदा, वैभव और समृद्धि की यात्रा बाहर की नहीं बल्कि भीतर की है।
यहां हर मन, और तन इतना युनिक है, कि उसकी कल्पना दिन रात क्रेडिट कार्ड, कंप्यूटर और केवल पित्जा बर्गर में रहने वाले विदेशी कभी नहीं समझ पाएंगे। यहां मन ही जीवन का केंद्र है और केवल मन को जीतकर ही भारतीय अपनी असली यात्रा के लिए जाने जाते हैं।
यकीनन जो यूरोप आज पूरे यूनिवर्स को खोजने के लिए लालायित है, उसे हिमालय पर बैठे साधु ने अपने मन के भीतर खोज लिया है और एक समय श्री कृष्ण ने अपने मुख के भीतर ही बताया है।
दरअसल, पूर्व और पश्चिम के बीच का सारा अंतर ही भीतर और बाहर का है। वे बाहरी चमक-दमक में उलझे बेचैन होकर दुनिया भटक रहे हैं, शांति की तलाश में मर खप रहे हैं और हम नंग-धंड़ंग हैं लेकिन भीतर की मस्ती में अंदर की यात्राओं के आनंद लोक में हैं। यही अंतर है।
बहरहाल, आइए आपको इसी भारतीय पौराणिक के भीतर उन लोगों के बारे में जो हजारों सालों से आज भी जीवित माने जाते हैं और कहीं न कहीं आस्था में डूबे लोगों को न केवल दिखाई दिए हैं बल्कि इस पृथ्वी की रक्षा भी कर रहे हैं।
1- भगवान हनुमान - अंजनी पुत्र हनुमान जी को अजर और अमर रहने के वरदान मिला है तथा इनकी मौजूदगी रामायण और महाभारत दोनों जगह पर पाई गई है। रामायण में हनुमान जी ने प्रभु राम की सीता माता को रावण के कैद से छुड़वाने में मदद की थी और महाभारत में उन्होंने भीम के घमंड को तोड़ा था। सीता माता ने हनुमान को अशोक वाटिका में राम का संदेश सुनाने पर वरदान दिया था की, वे सदेव अजर-अमर रहेंगे।
दरअसल अजर-अमर का अर्थ है कि उनकी कभी मृत्यु नही होगी और नही वे कभी बूढ़े होंगे। माना जाता है कि हनुमान जी इस धरती पर आज भी विचरण करते है।
2- अश्वत्थामा– अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचर्य के पुत्र हैं, तथा उनके मस्तक में अमरमणि विद्यमान है। अश्वत्थामा ने सोते हुए पांडवो के पुत्रो की हत्या की थी, जिस कारण भगवान कृष्ण ने उन्हें कालांतर तक अपने पापों के प्रायश्चित के लिए इस धरती में ही भटकने का श्राप दिया था। अश्वत्थामा के हरियाणा के करुक्षेत्र और अन्य तीर्थ में उनके दिखाई दिए जाने के दावे किए जाते हैं तथा मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में उनके दिखाई दिए जाने की घटना प्रचलित है।
3- ऋषि मार्कण्डेय – ऋषि मार्कण्डेय भगवान शिव के परम भक्त हैं। उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपश्या द्वारा महामृत्युंजय तप को सिद्ध कर मृत्यु पर विजयी पा ली और चिरंजीवी हो गए।
4- भगवान परशुराम- परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। परशुराम का पहले नाम राम था, लेकिन इस शिव के परम भक्त थे। उनकी कठोर तपश्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें एक फरसा दिया, जिस कारण उनका नाम परशुराम पड़ा।
5- कृपाचार्य- कृपाचार्य शरद्वान गौतम के पुत्र हैं। वन में शिकार खेलते हुए शांतु को दो शिशु मिले जिनका नाम उन्होंने कृपि और कृप रखा तथा उनका पालन पोषण किया। कृपाचार्य कौरवो के कुलगुरु तथा अश्वत्थामा के मामा हैं। उन्होंने महाभारत के युद्ध में कौरवो को साथ दिया।
6- विभीषण– विभीषण ने भगवान राम की महिमा जान कर युद्ध में अपने भाई रावण का साथ छोड़ प्रभु राम का साथ दिया। राम ने विभीषण को अजर-अमर रहने का वरदान दिया था।
7- वेद व्यास– ऋषि व्यास ने महाभारत जैसे प्रसिद्ध काव्य की रचना की है। उनके द्वारा समस्त वेदों एवं पुराणो की रचना हुई। वेद व्यास, ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र हैं। ऋषि वेदव्यास भी अष्टचिरंजीवियो में शामिल हैं।
8- राजा बलि– राजा बलि को महादानी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भगवान विष्णु के वामन अवतार को अपना सब कुछ दान कर दिया, अतः भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल का राजा बनाया और अमरता का वरदान दिया। राजा बलि प्रह्लाद के वंशज हैं।

Music Credits Royalty Free: bensound.com

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