Published On Oct 5, 2024
सन् 1857 के विद्रोह के पश्चात् भारत के शासन की बागडोर ब्रिटिश संसद ने स्वयं अपने हाथ में ली और भारत-मंत्री का एक नवीन पद सृजित हुआ । इस पद को सर्वप्रथम सुशोभित करने वाला लार्ड स्टैनले था। वह यह जानने के लिए उत्सुक था कि इस विद्रोह का भारतीय शिक्षा-नीति से क्या सम्बन्धं है ? स्टैनले वुड के संदेशपत्र का समर्थक था और यही कारण था कि 1856 ईस्वी के स्टैनले के आज्ञापत्र में प्राथमिक शिक्षा में कुछ संशोधन एवं परिवर्तन के अतिरिक्त शेष बातें वुड के संदेशपत्र से भिन्न न थीं। स्टैनले ने प्राथमिक शिक्षा पर विशेष बल दिया। उसने कहा कि सहायता- अनुदान की प्रथा से प्रारम्भिक विद्यालयों को कोई लाभ नहीं हो सकता। अत: इन विद्यालयों का प्रबन्ध सरकार स्वयं अपने हाथ में ले ले और व्यय के लिए यदि आवश्यक समझा जाय तो सरकार स्थानीय कर भी लगा सकती है। स्टैनले ऐसे समय में भारत आया था जब इंगलैंड में सार्वजनिक विद्यालयों का विस्तार और स्थानीय करों का आन्दोलन जोर पकड़ता जा रहा था। इन विचारों का प्रभाव स्टैनले पर भी पड़ा था। भारत आकर उसने यहाँ भी वही नीति अपनाने का आदेश दिया। इसके अतिरिक्त स्टैनले ने अध्यापकों के प्रशिक्षण पर भी विशेष बल दिया था
भारत मे प्रवेश परीक्षा की शुरुआत में शिक्षा प्रगति 2, Beginning of Entrance Exam in india 1854-1882 b india