रामायण - EP 20 - श्रवण कुमार प्रसंग। दशरथ की मृत्यु।
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 Published On Sep 25, 2024

Ramayana - Episode 20 - Shravan Kumar's entry. Dashrath's demise.

मंत्री सुमन्त राजमहल में जाने से पहले महर्षि वशिष्ठ के आश्रम जाते हैं और उनसे राजमहल साथ चलने का निवेदन करते हैं। वस्तुतः जाते समय राजा दशरथ ने सुमन्त से कहा था कि वो राम को वन में दो चार दिन रहने के बाद वापस ले आयें। राम न आयें तो कम से कम सीता को अवश्य वापस ले आयें। लेकिन सुमन्त इस कार्य में विफल रहते हैं। सुमन्त का विचार है कि यदि महर्षि वशिष्ठ साथ होंगे तो वे अपने वचनों से स्थिति संभाल लेंगे। दशरथ सुमन्त को राम सीता के बिना देखकर व्याकुल होते हैं। महर्षि वशिष्ठ उन्हें नीतिज्ञान देते हैं। रानी कैकयी के महल में मंथरा सुमन्त के अकेले वापस आने का समाचार पहुँचाती है। कैकयी उससे दशरथ की स्थिति के बारे में पूछती है। बिस्तर पड़े दशरथ को अपना अन्त समय निकट जान पड़ता है। उन्हें कुछ भी दिखना बन्द हो जाता है, तब उन्हें श्रवण कुमार के अंध माता पिता द्वारा दिया गया श्राप स्मरण आता है। दशरथ अपनी युवावस्था में आवाज की दिशा में निशाना लगाने में निपुण थे। एक बार आखेट के दौरान वे झाड़ियों में छिपकर सरयू नदी में किसी जंगली जानवर के पानी पीने आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। तभी उन्हें पानी में हलचल की आवाज सुनायी पड़ी। उन्होने शब्दभेदी बाण चलाया जो लक्ष्य पर लगा। किन्तु किसी मानव की चीत्कार सुनकर वे भाग कर वहाँ गये और एक युवक के सीने पर अपना बाण लगा पाया। यह युवक कोई और नहीं, अपने अंध माता पिता को तीर्थयात्रा कराने निकला श्रवण कुमार था। प्राण निकलने से पहले श्रवण कुमार दशरथ से प्रार्थना करता है कि उसके माता पिता प्यासे हैं। वे उन्हें जल अवश्य पिला दें। दशरथ कलश में जल लेकर श्रवण कुमार के अंध माता पिता के पास जाते हैं। वे पश्चाताप में डूबे हुए हैं। दशरथ के हाथों से कलश लेते समय हाथ का स्पर्श होने से अंधा पिता समझ जाता है कि आगन्तुक उसका पुत्र नहीं है। दशरथ उन्हें श्रवण की मृत्यु के बारे में बताते हैं। पुत्र के मौत का समाचार सुन उसकी माता बिना पानी पिये प्राण त्याग देती हैं। अंध पिता भी अपने प्राण त्यागने का निर्णय लेता है किन्तु मरने से पहले दशरथ को श्राप देता है कि वो भी उनकी तरह पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर मरेंगे। इस पुरानी बात को स्मरण करते हुए दशरथ धरती पर गिर पड़ते हैं और राम राम कहते हुए अपने प्राण त्याग देते हैं। उधर पर्णकुटी में राम को ध्यान योग के दौरान पिता का रथ आकाश मार्ग से जाने का अहसास होता है।

रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी। इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है। इस धारावाहिक को रिकॉर्ड 82 प्रतिशत दर्शकों ने देखा था, जो किसी भी भारतीय टेलीविजन श्रृंखला के लिए एक कीर्तिमान है।

निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर
सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर
कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर
मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर
पटकथा और संवाद - रामानंद सागर
संगीत - रविंद्र जैन
शीर्षक गीत - जयदेव
अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
संपादक - सुभाष सहगल
कैमरामैन - अजीत नाइक
प्रकाश - राम मडिक्कर
साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र
वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार

Ramayan is an Indian television series based on ancient Indian Sanskrit epic of the same name. The show was originally aired between 1987 and 1988 on DD National. It was created, written, and directed by Ramanand Sagar. The show is primarily based on Valmiki's 'Ramayan' and Tulsidas' 'Ramcharitmanas'. The series had a viewership of 82 per cent, a record high for any Indian television series. The series was re-aired during the 2020 Coronavirus lockdown and broke several viewership records globally which includes setting the record for one of the most watched TV shows ever in the world, with 77 million viewers on 16 April 2020.

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