The Scam That Shook a Nation: The Nagarwala Scandal पर Prakash Patra & Rasheed Kidwai से बात | EP 91
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 Published On Jul 17, 2024

- प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज़ पर SBI ने कैसे लुटा दिए 60 लाख?
- क्या था नागरवाला स्कैंडल?
- क्या भारत की जांच-एजेंसी लीपा-पोती करती हैं?
- क्या नागरवाला स्कैंडल में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं शामिल?
- अपराधी और जांचकर्ता, दोनों की संदिग्ध मौत की क्या थी वजह?
- क्या भारत की जांच-एजेंसी लीपा-पोती करती हैं?
ऐसे बहुतेरे सवाल और उनके जवाब जवाब देने के लिए आज साहित्य तक स्टूडियो में 'The Scam That Shook a Nation: The Nagarwala Scandal' के लेखक प्रकाश पात्रा और रशीद किदवई मौजूद हैं. लेखक रशीद किदवई वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार, लेखक और ऑब्जर्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन के विज़िटिंग फेलो हैं और प्रकाश पात्रा प्रेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रह चुके हैं. इन दोनों ने संयुक्त रूप से कभी देश को हिला देने वाले नागरवाला कांड पर उपरोक्त पुस्तक लिखी है. यह पुस्तक 1970 के दशक की शुरुआत में ले जाती है. तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का शासनकाल था. श्रीमती गांधी एक बहुत बड़ी हस्ती थीं, जिन्होंने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में भारत को जीत दिलाई थी. उनकी छवि एक निर्णायक नेता के रूप में मजबूत हुई थी.
यह कहानी रुस्तम सोहराब नागरवाला के इर्द-गिर्द घूमती है. नागरवाला भारतीय सेना के सेवानिवृत्त कप्तान थे. उनका नाम 1971 के एक बड़े घोटाले के साजिशकर्ता के रूप में उभरा. हुआ यह था कि वर्ष 1971 में 24 मई को भारतीय स्टेट बैंक की संसद मार्ग शाखा के मुख्य कैशियर वेद प्रकाश मल्होत्रा ​​को किसी ऐसे व्यक्ति का फोन आया, जिसने प्रभावी ढंग से अपने को प्रधानमंत्री गांधी और उनके प्रतिनिधि पीएन हक्सर के रूप में प्रतिरूपित किया. कॉल करने वाले ने मल्होत्रा ​​से कहा कि वे पूर्वी पाकिस्तान- अब बांग्लादेश- के मुक्ति संग्राम से संबंधित एक गुप्त मिशन के लिए एक कूरियर को 60 लाख रुपये सौंप दें.
पात्रा और किदवई कहते हैं, "1971 में 60 लाख रुपये की रकम कोई मज़ाक नहीं थी... 2024 में यह रकम 170.62 करोड़ रुपये हो जाती." कैशियर मल्होत्रा ने यह मानते हुए कि वे प्रधानमंत्री के आदेश का पालन कर रहे हैं, कैश वॉल्ट से 60 लाख रुपये निकाले और उसे कूरियर को सौंप दिया. मल्होत्रा ने दावा किया कि उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके सचिव पीएन हक्सर से सीधे निर्देश मिले थे. उनका मानना ​​था कि उन दोनों ने सीधे उनसे बात की थी. हालांकि बाद में जब मुख्य कैशियर ने रसीद के लिए पीएमओ से संपर्क किया, तो उसे बताया गया कि न तो हक्सर और न ही पीएम ने ऐसा कोई निर्देश दिया था, तब उन्हें पता चला कि उनके साथ धोखा हुआ है. घोटाले के खुलासे के बाद चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई. बाद में जांचकर्ता और अभियुक्त दोनों की संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई. विपक्ष जब सत्ता में आया तो कमीशन भी बना, पर नतीजा नहीं निकला.
भारत के सबसे सनसनीखेज वित्तीय घोटालों में से एक पर आधारित शोधपरक, राजनीतिक थ्रिलर- जो इतिहास, अपराध और राजनीतिक नाटकीय घटनाक्रमों और तत्वों को बेहतरीन तरीके से जोड़ती 'The Scam That Shook a Nation: The Nagarwala Scandal' हार्पर कॉलिंस प्रकाशित है. इस पुस्तक का मूल्य है 399 रुपए. तो सुनिए लेखक प्रकाश पात्रा और रशीद किदवई से वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की यह बातचीत सिर्फ़ साहित्य तक पर.

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