Published On Jan 11, 2022
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।
नमस्कार ... मैं आपका दोस्त राजीव...
मैं आप लोगों से वेदान्त के विख्यात और आध्यात्मिक गुरू, साइक्लाॅनिक हिन्दु, जिनके मुखारबिंद से निकले हर एक वाक्य में जीवन का सत्य समाया हुआ है ... स्वामी विवेकान्द जी की बात करने आया हूँ...
आज उनका जन्मदिन है यानि देष के समस्त युवाओं को हैप्पी बर्थ डे .......... आप सभी को युवा दिवस की शुभकामनाएं...
यूं तो गरीबों के सेवक कहे जाने वाले विवेकानन्द जी के जीवन से अनेकों बातें सीखने को मिलती हैं लेकिन आज मैं बताऊंगा वे 7 बातें जो हमारे समस्याओं को देखने के नजरिये को बदल देगी...
हम लोग जीवन को आसान नहीं मुष्किल बनाते जा रहे हैं, हमारी सामथ्र्य और शक्ति के स्थान पर हम लोग हमारी कमजोरी पर ही ध्यान देते हैं इस कारण निकट होने के बावजूद सफलता नहीं मिल पाती है। स्वामी विवेकानंद जी का कहना है कि खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं। स्वयं की शक्ति और योग्यता को पहचाने तो हर काम आासान है।
एक बात ध्यान रखिऐगा हार तब तक नहीं होती जब तक आप हार को स्वीकार नहीं कर लिया जाता।
स्वामी जी का कहना है हमारा बाहरी स्वभाव अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है इसलिए स्वयं को निर्मल बनाएं रखिए... जैसे हैं वैसा ही व्यवहार करें... दिखावा नहीं करें। यह मान के चलिए अगर आपका किसी के साथ व्यवहार अच्छा नहीं है तो आपको आत्मनिरीक्षण की आवष्यकता है।
लोग अक्सर स्वयं को शक्तिहीन समझते हैं और सही राह, संतुष्टि या खुषी की तलाष में भटकते रहते हैं.... विवेकानंद जी कहते हैं ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी है लेकिन हम आॅखों पर हाथ रख लेते हैं और कहते हैं कितना अंधेरा है । हर स्थान पर, हर चीज में सकारात्मकता ढूढिए, अपनी शक्ति को पहचानिए यकिन मानिए जो आज मुष्किल लग रहा है प्रयास करने पर बहुत आसान लगेगा
स्वामी जी ने कहा है आपको कोई नहीं पढ़ा सकता, आपको कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता, आपको स्वयं ही सीखना है और आपकी आत्मा से अच्छा कोई षिक्षक नहीं है । इसलिए किसी पर भी निर्भर मत रहिए, क्योंकि दूसरों पर निर्भरता कभी आत्मनिर्भर नहीं बनने देगी।
जीवन समस्याओं का दूसरा नाम है यानि हर रोज नया संघर्ष करना है, जिस दिन आपके सामने कोई नयी समस्या नहीं आयी समझ लिजिए आप गलत राह पर चल रहे हैं। सफलता के लिए संघर्र्षोंं से मत डरिए क्योंकि संघ् संघर्र्षोंं जीतना बड़ा होगा, सफलता उतनी विषाल होगी...
हर बात को किस्मत पर छोड़ देना या बिना प्रयास के लाभ की उम्मीद करना खुद के पर अविष्वास पैदा करता है स्वामी जी कहते हैं जिसे स्वयं पर भरोसा नहीं है उसे ईष्वर पर विष्वास नहीं है। ईष्वर ने आपको सबसे अच्छा बनाया है, आप सब कुछ कर सकते हैं...
सातवी और सबसे महत्वपूर्ण बात आप जैसा सोचते हो वैसे बन जाते हो, खुद का सबल समझोगे तो सबल बनोगे और निर्बल समझोगे तो निर्बल इसलिए आत्मविष्वास रखें और कार्य करते रहें । इस बात से प्रेरणा लें कि रात कितनी भी अंधेरी क्यों ना हो ऐसा कभी नहीं हुआ की रात ने सुबह नहीं होने दी...
दोस्तों यह बात सही है कि मन को स्थिर रखना और मस्तिष्क के साथ उसका सामान्जस्य बैठाना आसान काम नहीं है लेकिन आध्यात्म और बुद्धि में गहरा संबंध है अपने सोचने और देखने के तरीके को आध्यात्मिक बनाएं जिससे आपका मन स्थिर रहेगा और सकारात्मकता आएगी..