Published On Nov 21, 2019
भारतीय संसदीय व्यवस्था में विभाग संबंधी स्थायी समितियां बेहद अहम भूमिका निभाते हुए एक नया इतिहास रच रही हैं। हालांकि मिनी संसद के रूप में विख्यात इन समितियों का अतीत बहुत पुराना नहीं है। 1993 में 17 समितियों के साथ विभाग संबंधी स्थायी समिति प्रणाली की शुरूआत की गयी, जिसके दायरे में भारत सरकार के साऱे विभाग और मंत्रालय समाहित हैं। 2004 में इन समितियों की संख्या बढ़ा कर 24 कर दी गयी और क्षेत्राधिकार में संतुलन स्थापित हुआ। तबसे राज्य सभा के तहत 8 और लोक सभा के तहत 16 विभाग संबंधी स्थायी समितियां काम कर रही हैं। इनके माध्यम से संसद कई अहम कामों को संपादित करा रही है। पीठासीन अधिकारियों के दिशानिर्देश में काम कर कर रही ये समितियां बहुत ताकतवर हैं। समितियों के भीतर तमाम महत्व के मुद्दों, नीतिगत मसलों और व्यापक सिद्धांतों पर चर्चा होने से सभा का काफी समय भी बच रहा है। इनकी अधिकतम अहम सिफारिशों को सरकार मान रही है। भारत में विभाग संबंधी स्थायी समितियों का प्रयोग सफल रहा है। धीरे धीरे ये संसदीय प्रणाली की रीढ़ की हड्डी बन गयी हैं। इस समितियों में राज्य सभा का अहम योगदान रहा है। राज्य सभा के 250वें सत्र पर हमारी ये खास खोजपूर्ण रिपोर्ट प्रस्तुत है।
Anchor | Research - Arvind Kumar Singh
Producer - Mamta Siddhartha
Video Editor - Harish Morya
250th Session of Rajya Sabha
#250RajyaSabhaSession