Published On Mar 7, 2024
shivratri 2024
Maha Shivratri
Why do we celebrate Mahashivratri
What is the special of Maha Shivaratri
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महाशिवरात्रि व्रत की प्रामाणिक और पौराणिक कथा
Maha shivratri Vrat Katha
महाशिवरात्रि की असली कहानी क्या है
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महाशिवरात्रि पर क्या पढ़ना चाहिए
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महाशिवरात्रि व्रत विधि और की महिमा
महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन मास की चतुर्दशी को किया जाता है | त्रियोदशी को एक बार भोजन करके चतुर्दशी को दिन भर निराहार रहते है | शिव मंदिर में जा कर कलश को जल से भर कर रोली, मोली, चन्दन , चावल . पण सुपारी , ढूध, धन्तुरा , बेल पत्र आदि का प्रसाद शिव को अर्पित करे | दुसरे दिन हवन करके ब्राम्हणों को भोजन करवा कर व्रत का पारण करना चाहिए |
कथा :- एक बार गाव में एक शिकारी रहता था | वह शिकार करके अपने परिवार का पालन पोषण किया करता था | एक बार उस पर साहूकार का उस पर क़र्ज़ हो गया | कर्जा न चुकाने के कारन सेठ ने उसे शिव मंदिर में बंदी बना कर रख लिया | उस दिन महा शिवरात्रि थी | सारा दिन उसने शिव जी से सम्बंधित बाते ध्यान से सुनी | शाम को सेठ ने उसे अपने पास बुलाया | शिकारी अगले दिन कर्जा चुकाने का वादा करके कैद से छुट गया | जंगल में एक तलब के किनारे बेल वृक्ष पर शिकारी शिकार करने के लिए जगह बनाने लगा | उस पेड़ के निच्चे शिवलिंग था | जगह बनाने के कारन कुछ बेल पत्र गिर कर शिवलिंग पर जा गिरे | सारा दिन भूखा रहने के कारन उसका व्रत भी हो गया और बेल पत्र भी शिवलिंग पर चढ़ गए | एक पहर बीत जाने के बाद एक गर्भिणी हिरनी पानी पीन निकली | शिकारी ने उसे देख कर निशाना साधा | वह हिरनी करुण स्वर में बोली में गर्भवती हु बहुत जल्दी मेरा प्रसव होने वाल है | में बचे को जनम दे कर जल्दी तुम्हारे पास आ जाऊगी | शिकारी ने उसे छोड़ दिया | थोड़ी देर बाद एक और हिरनी निकली | शिकारी ने जैसे ही निशाना साधा | हिरनी ने निवेदन किया हे मनुष्य में थोड़ी देर पहले ऋतू से निवृत हुई हु | और काम पीड़ा से ग्रसित हु | अपने पति से मिलन करने के बाद में जल्दी तुम्हरे पास आ जाऊगी | शिकारी ने उसे भी छोड़ दिया | रात्रि के अंतिम पहर में एक मृगी अपने बचो के साथ वहा से निकली | इस बार शिकारी तीर छोड़ने ही वाला था किमृगी बोली अपने बचो को अपने पति के पास छोड़ आऊ उसके बाद अप मुझे मर डालना | शिकारी को इस पर भी दया आ गई और उसे भी छोड़ दिया | धरती पर रोशनी आने ही वाली थी कि उसे एक तंदुरस्त हिरन आता दिखाई दिया | शिकारी उसका शिकार करने के लिए आतुर हो गया | तब हिरन बोला महोदय यदि इससे पहले तुमने तीन मृगयो और उनके बचो को मर दिया हो तो मुझे भी मार दीजिये ताकि मुझे उनका वियोग न सहना पड़े | में उन तीनो का पति हु | यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया हो तो कुछ देर के लिए मुझ पर भी कृपा करे | में उन से मिल कर तुम्हारे पास आ जाऊगा | मृग की बात सुन कर साडी घटनाएं शिकारी के दिमाग में घुमने लगी | उसने मृग को साडी बाते बता दी | उपवास , रात्रि जागरण तथा शिवलिंग पर बेल पत्र चड़ने से उसमे भगवन भक्ति का जागरण हो गया | उसने हिरन को भी छोड़ दिया | भगवानभोले नाथ की कृपा से उसका हृदय मांगलिक कार्यो से भर गया | अपनेपुराने पापो के बारे में सोच कर उसका हृदय पश्ताप की आग में जलने लगा | थोड़ी देर बाद हिरन अपने सारे परिवार के साथ आ गया | जंगली जानवरों की सत्य निष्ठा और सामूहिक प्रेम को देख कर उसे बहु ग्लानी हुई | उसकी आँखों से आंसुओ की धरा बहने लगी | उसने हिरन को परिवार के साथ माफ़ कर दिया | देवता आकाश से इस घटना को देख रहे थे | उन्होंने आकाश से शिकारी पर पुलों की वर्षा की | शिकारी परिवार के साथ मोक्ष को प्राप्त हुआ | तो बोलो शिवशंकर महाराज की जय | मेरे चैनल को सब्सक्राइब करना जी