Published On Oct 6, 2024
मौर्यकालीन कला और साहित्य ||
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मौर्यकाल (324-185 ई.पू.) भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण काल है, जिसमें कला और साहित्य का व्यापक विकास हुआ। यह समय महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और उनके पोते अशोक महान की सत्ता के अधीन था। मौर्यकालीन कला और साहित्य में धार्मिक, सांस्कृतिक और स्थापत्य का विशेष स्थान था। आइए इसे विस्तार से समझते हैं#
मौर्यकालीन कला:
1. स्थापत्य कला: मौर्यकाल में सबसे प्रमुख रूप से स्थापत्य कला का विकास हुआ। अशोक ने पूरे भारत में अनेक स्तूप, स्तंभ, और बौद्ध विहारों का निर्माण करवाया। इनमें से सबसे प्रसिद्ध सांची का स्तूप है, जो बौद्ध धर्म का प्रतीक है।
अशोक स्तंभ: अशोक द्वारा बनवाए गए स्तंभ पूरे भारत में पाए जाते हैं। सबसे प्रसिद्ध सारनाथ का अशोक स्तंभ है, जिस पर शेर की चारमुखी मूर्ति है, जिसे आज भारत का राष्ट्रीय प्रतीक माना जाता है।
शिला लेख: अशोक ने अपने धर्म और नीति से संबंधित आदेशों को शिला लेखों के रूप में उत्कीर्ण करवाया। ये शिला लेख पूरे भारत में पाए जाते हैं और यह मौर्यकालीन लिपि (ब्राह्मी) में लिखे गए हैं।
2. मूर्तिकला: मौर्यकाल में कला में प्राकृतिकता का विशेष ध्यान रखा गया था। इस काल की मूर्तिकला में खास तौर पर जानवरों की मूर्तियों में उत्कृष्टता दिखाई देती है, जैसे अशोक स्तंभ के शीर्ष पर स्थित सिंह की मूर्तियाँ।
पॉलिश पत्थर की कला: मौर्यकाल में पत्थर को चिकना करने की कला भी उन्नत हुई। मौर्यकालीन पत्थर की मूर्तियों और स्तंभों की सतह पर विशेष रूप से चमकदार पॉलिश किया जाता था, जिसे "मौर्यन पॉलिश" कहा जाता है।
मौर्यकालीन साहित्य:
अर्थशास्त्र: मौर्यकाल का सबसे प्रमुख साहित्यिक ग्रंथ चाणक्य (कौटिल्य) का अर्थशास्त्र है। यह एक राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दर्शन का ग्रंथ है, जिसमें राज्य संचालन और कूटनीति पर गहन विचार किया गया है#
धम्म लिपियां: अशोक द्वारा शिला और स्तंभों पर उत्कीर्ण धर्म लिपियां भी मौर्यकालीन साहित्य का हिस्सा हैं। ये लिपियां बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार और नैतिकता के सिद्धांतों को जनसामान्य तक पहुंचाने का माध्यम थीं।
बौद्ध साहित्य: मौर्यकाल में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रचार हुआ, जिसके फलस्वरूप बौद्ध साहित्य जैसे त्रिपिटक की रचना हुई। यह बौद्ध धर्म के सिद्धांतों और शिक्षाओं का संकलन है। त्रिपिटक का निर्माण मुख्यतः पाली भाषा में हुआ था#
/ @historyandhistorian792 सम्राट अशोक