Published On Sep 26, 2024
गोवर्धन पर्वत से जुड़ी कहानी कुछ इस प्रकार है:
एक बार, जब माता यशोदा इंद्रदेव की पूजा के लिए प्रसाद बना रही थीं, तब श्रीकृष्ण ने प्रसाद मांगा. माता ने पूजा के बाद खाने को कहा, तो श्रीकृष्ण ने कहा कि गोवर्धन पर्वत पर पशु-पक्षियों को भोजन मिल जाता है. साथ ही, यह पर्वत हर मौसम में बृजवासियों की रक्षा करता है. इसलिए, इंद्रदेव की पूजा की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए. इस बात से इंद्रदेव नाराज़ हो गए और उन्होंने बृज पर बहुत ज़्यादा बारिश करवा दी. इस बारिश से बृजवासियों को काफ़ी नुकसान हुआ. तब श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और बृजवासियों को उसमें शरण लेने के लिए कहा. इंद्रदेव ने और ज़्यादा तेज बारिश करवाई, तो श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि वह वर्षा की गति को नियंत्रित करे. उन्होंने शेषनाग से भी
कहा कि वह मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें. सात दिनों तक बारिश करने के बाद, ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव से कहा कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं और उनकी पूजा करनी चाहिए. इसके बाद इंद्रदेव ने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी और उनकी पूजा की. तभी से गोवर्धन पूजा की जाने लगी और श्रीकृष्ण को प्रसाद में 56 भोग चढ़ाए जाने लगे.
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