भीनमाल: 600 साल पुराने मंदिर में है विश्व की सबसे अद्भुत वराह श्याम की प्रतिमा जाने विशेष कवरेज
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 Published On Premiered Sep 5, 2024

भीनमाल: 600 साल पुराने मंदिर में है विश्व की सबसे अद्भुत वराह श्याम की प्रतिमा जाने

भीनमाल /
राजस्थान के जालोर जिले में प्रसिद्द वराहश्याम का मंदिर की जानकारी लेकर आए हैं जो अपनी विशेषता के लिए जाने जाते हैं। इन मंदिरों में भक्तों का जमावड़ा हमेशा लगा रहता हैं, लेकिन वराहश्याम की जयंती के दिन यहां पर संख्या और बढ़ जाती हैं। अगर आप भी वराहश्याम जयंती के दिन वराहश्याम का मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो चले आइये यहां के मंदिर में दर्शन करने के लिए और यहां वीडियो शुरू करने से पहले अगर आप हमारे चैनल पर अभी नया जुड़े हुए हैं तो आप अभी चैनल को लाइक और शेयर जरुर करे देवें ।

आज वराहश्याम जयंती के दिन विशेष कवरेज देखिए भीनमाल वराहश्याम मन्दिर से संबंधित जानकारी के साथ - Watch special coverage today on Varah Shyam Jayanti with information related to Bhinmal Varah Shyam Temple
जालोर जिले के भीनमाल के मैंने बाजार में स्थित है। यहां मंदिर जालोर जिले के भीनमाल‌ की महिमा का वर्णन अनेकों अभीलेखों और प्राचीन ग्रंथों में मिलता है. स्कंधपुराण श्रीमाल महात्म्य में भी इस नगर के बारे में काफी जानकारी मिलती है. कालांतर में इसका नाम भीनमाल हो गया. इस नगर का विस्तार 5 योजन तक बताया गया है. प्राचीन काल के अवशेष भीनमाल में चारों तरफ मरुस्थल में दबे हुए है. भीनमाल ने कई उत्थान-पतन देखे हैं. इतिहास और जनश्रूतियों के अनुसार यह नगर चार बार नष्ट हुआ.
इसी उत्थान-पतन की वजह से भीनमाल के कई नाम हुए; पुष्पमाल, आलमाल, रत्नमाल, श्रीमाल, भील्लमाल, भीनमाल आदि. आज हम शहर के वराहश्याम मन्दिर के पास बाजार और अनेक प्रकार की दूकान बनीं हुंआ। यह मंदिर वराहश्याम मन्दिर में भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.

भीनमाल स्थित वराहश्याम का मंदिर अति प्राचीन व देश के गिने चुने मंदिरों में से एक है। यह मंदिर करीब 600 वर्ष पुराना है। मंदिर में स्थापित वराहश्याम भगवान की मूर्ति जैसलमेर के पीले प्रस्तर से निर्मित है। जो आठ फीट लंबी व तीन फीट चौड़ी है। मूर्ति का आकर्षण दाएं भुजा में मेदिनी को धारण किए हुए। उनके चरणों के पास नाग-नागिन का युगल है। जिनका उपर का हिस्सा मानव आकृतियों में है। इनके पास इंद्राणी तथा नारद की प्रतिमाएं भी उत्कीर्ण है। मूर्ति इतनी भव्य एंव कलात्मक है कि मेदिनी उद्धार की घटना प्रत्यक्ष घटित होते हुए दिखाई पड़ती है। मंदिर में लंबे समय से शाकद्वीपीय ब्रह्माण समाज के लोग पूजा करते है। भगवान वराह के चरण पाताल लोक अथवा नाग लोक में तथा सिर अंतरिक्ष में है जिनके बीच पृथ्वी स्थित है। इसी कक्ष में वराह की अन्य लघु मूर्तियां भी रखी हुई है। इस कक्ष के बहार की दीवार में भगवान सूर्य की पारसी पूजा पद्धति की मूर्ति लगी हुई है जो जूते पहने हुए है। यह एक अत्यंत दुर्लभ मूर्ति है जो ईसा की पहली-दूसरी शताब्दों के आस-पास इस क्षेत्र के पश्चिम एशिया के घनिष्ठ संपकों की कहानी कहती है। मु य कक्ष के बाहर भगवान वराहश्याम के ठीक सामने वाली दीवार में सांतवी से दसवीं शताब्दी के बीच बनी अनेक दुर्लभ मूर्तियां लगी हुई है। जिनमें गणेश भगवान, शिव भगवान, राधाकृष्ण व वराह भागवान की शामिल है। मंदिर की अन्य दीवारों में भीनमाल क्षेत्र के आस-पास से प्राप्त अत्यंत प्राचीन मूर्तियां स्थापित की गई है। जिनमें शेषशायी विष्णु, चक्रधारी विष्णु, यक्ष व देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई है। किसी समय में भीनमाल में जगत वि यात सूर्य मंदिर स्थित था। जिसे जगत स्वामी मंदिर कहा जाता था। यह मंदिर अब नहीं है उस मंदिर से संबंधित दुर्लभ मूर्तियां व लेख वराहश्याम, चंडीनाथ मंदिर व महालक्ष्मी मंदिर में रखे हुए है।
विष्णु के अवतार भगवान वराहश्याम :
विष्णु भगवान के दशावतरों में से एक अवतार वराह अवतार है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने पाताल लोक में धंसी हुई पृथ्वी का उद्धार करने के लिए वराह (शूकर) का रूप धारण किया था। भगवान विष्णु ने वराह का अवतार लेकर हिरण्याकश्यप नामक देत्य को मार कर पृथ्वी को अपने दांतोंं पर रखकर पाताल लोक से बहार लेकर आए थे। यह घटना ऋषि ग्रंथों व पुरोणों में इसका बखान किया गया है।
आठ फीट मूर्ति के मंदिर के बाहर खिड़की से होते है पूरे दर्शन :
वराहश्याम मंदिर के बाहर मु य सड़क पर मूर्ति के सीध में एक खिड़की लगी हुई है। खिड़की से देखने पर आठ फीट लंबी व तीन फीट चौड़ी मूर्ति के पूरे दर्शन होते है। शहरवासी आते-जाते मंदिर के बाहर से भी दर्शन कर के जाते है।
मेलों का होता है आयोजन, मंदिर में अन्नकूट का आयोजन रहता है विशेष :
वराह जयंती को लेकर हर वर्ष मेले व विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ट्रस्ट की ओर से देवझूलनी एकादशी, गणेश चतुर्थी, कृष्ण जन्माष्टमी व अन्य विशेष दिन पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को भगवान वराहश्याम को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। अन्नकूट भोग में 32 भोजन व 33 साग के व्यंजन का भोग लगाया जाता है।
मंदिर की शाकद्वीपीय ब्रह्माण करते है पूजा :
विश्व भर में इतनी बड़ी वराहश्याम भगवान की मूर्ति कहीं नहीं है, जो भीनमाल के मंदिर में स्थापित है। यहां पर प्रतिदिन शहर व आस-पास के गांवों से लोग भगवान के दर्शन के लिए आते है। मंदिर में शाकद्वीपीय ब्रह्माण समाज के लोग पूजा करते है।
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