सभी नौ ग्रहों का एकबार में एक साथ फलादेश, आपके ग्रह और शुभ अशुभ प्रभाव बस एक चार्ट से समझे,
नक्षत्र तक नक्षत्र तक
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 Published On Aug 25, 2024

जन्मपत्री के माध्यम से व्यक्ति का फलादेश जानने के लिए ग्रह गणना एवं फलकथन हेतु कुछ बिंदुओं की आवश्यकता पड़ती है, जो इस प्रकार है।
लग्न स्पष्ट, वर्गों का निर्माण, विंशोत्तरी, अष्टोत्तरी, योगिनी, कालचक्र, दशा-अन्तरदशा की गणना, प्रत्येक भाव, भावेश का अध्ययन, ग्रहों की युति तथा दृष्टि।
इसके साथ ही जन्मकुण्डली के विभिन्न भाव पर स्थित ग्रहों तथा उन ग्रहों के उपर अन्य ग्रहों की दृष्टि के प्रभाव इत्यादि।
भाव के स्वामी एवं कारक की स्थिति, उसके अन्य ग्रहों से संबंध, नक्षत्रों के स्वामी से सम्बन्ध, नवांश में ग्रहों की स्थिति का परिज्ञान महत्वपूर्ण माना गया है।
ग्रहों की बाल, युवा, मृत अवस्थाऐं, राशि संधि तथा प्रत्येक भाव का बल।
ज्योतिषीय फलादेश मुख्यतः तीन मूलभूत बातों पर निर्भर करता है, भाव, भावेश और कारक, इनका आपस में तालमेल, सम्बन्ध, स्थिति, दृष्टि और युति के माध्यम से स्पष्ट किया जाना चाहिए। नौ ग्रह और उनसे संबंधित क्षेत्र - आकाश मंडल में यूं तो अनेक उल्का आदि पिण्ड हैं लेकिन सात ग्रह व दो छाया ग्रह, राहु-केतु के महत्व का वर्णन भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सर्वाधिक मिलता है। प्रत्येक ग्रह का संबंध मानव के साथ जुड़ा हुआ है -
सूर्य - आत्मा, आत्मविश्वास, राजसुख आदि।
चन्द्र - मन, माता, शीतलता, सफेद वस्तु, जल।
मंगल - साहस, युद्ध, उत्साह, पराक्रम, हिम्मत, शक्ति आदि।
बुध - बुद्धि, वाणिक प्रवृत्ति, पत्रकारिता, सेल्समैन।
गुरू - ज्ञान, विवेक, धर्म, न्याय।
शुक्र - सौन्दर्य, कला, सुगंधित वस्तुऐं।
शनि - कठिन परिश्रम, न्याय, लोहा, कृषि।
राहु - गुप्त विद्या, अनैतिक कार्य, चतुराई, राजनीति।
केतु - उच्च सफलता, जिद्दीपन, मोक्ष आदि के बारे में जाना जाता है।
व्यक्ति की जन्मपत्री में सूर्य, चन्द्र, मंगल आदि जो भी ग्रह बलवान होता है, वह व्यक्ति को अपनी प्रवृत्ति एवं कारक तत्व के आधार पर उन वस्तुओं से संबंधित सुख प्रदान करता है। सामान्य रूप से उच्च राशि का ग्रह, स्वराशि में स्थित ग्रह, मूल त्रिकोण राशि का ग्रह अथवा अपने मित्र ग्रह की राशि में बैठे ग्रह को अच्छा माना जाता है। ग्रहों का बलाबल निर्धारण करने के लिए ग्रहों के अंश सहित नवमांश, द्वादशांश आदि षड्वर्ग कुंडलिया बनाकर तथा अष्टकवर्ग में ग्रहों के बलाबल का विचार, गोचर आदि का विचार करना अति आवश्यक है।

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