दलित होने के वजह से शरीर पर पेशाब किया औरमुंह पर थुका,दलितों पर हों रहें अत्याचार पर भारत में कानून
*Hemwanta Gurukul* *Hemwanta Gurukul*
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 Published On Sep 15, 2024

भारत के विभिन्न राज्यों में दलितों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार किसी भी प्रगतिशील और सभ्य समाज के लिए चिंताजनक हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा प्रकाशित 'भारत में अपराध, 2022' रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में दलितों के खिलाफ

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन 9 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उपाध्यक्ष वीपी दुरईसामी और अन्य के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए। | फोटो क्रेडिट: शशि शेखर कश्यप

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार, 9 जुलाई, 2024 को तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के नेतृत्व वाली सरकार पर तीखा हमला करते हुए राज्य में दलित समुदायों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अत्याचार का आरोप लगाया, पार्टी ने दावा किया कि हिंसा में राजनेताओं को भी नहीं बख्शा गया।

नई दिल्ली स्थित भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन ने कहा कि पार्टी की तमिलनाडु इकाई का एक प्रतिनिधिमंडल, राज्य उपाध्यक्ष वीपी दुरईसामी के नेतृत्व में, आज दिन में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क करेगा तथा उनसे इस मामले में उचित कार्रवाई करने का आग्रह करेगा।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री दुरईसामी सहित भाजपा की तमिलनाडु इकाई के वरिष्ठ नेता उपस्थित थे।

श्री मुरुगन ने कहा, "मई 2021 में डीएमके के सत्ता में आने के बाद तमिलनाडु में दलितों पर अत्याचारों में जबरदस्त वृद्धि हुई है। एक सर्वेक्षण बता रहा है कि राज्य में हर साल दलितों पर अत्याचार के 2,000 से अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं।"

उन्होंने 2022 से दलितों के खिलाफ कथित अत्याचार की घटनाओं और राज्य में भाजपा नेताओं पर हमले और हत्या की कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की “पूर्ण विफलता” को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा , ‘‘हाल ही में दलित नेता और बसपा के प्रदेश अध्यक्ष के. आर्मस्ट्रांग की हत्या कर दी गई।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि द्रमुक शासन में राज्य में ‘‘राजनीतिक नेता भी सुरक्षित नहीं हैं।’’

उन्होंने कहा, "अनुसूचित जाति के नेताओं और लोगों को सुरक्षा नहीं मिल रही है। डीएमके सरकार के तहत उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।"

श्री मुरुगन ने कहा कि डीएमके का दावा कि वह सामाजिक न्याय की अगुआ है, झूठा है क्योंकि पार्टी राज्य में सामाजिक न्याय के विचार का पालन नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया, “[तमिलनाडु के मुख्यमंत्री] स्टालिन को राज्य में दलितों के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं के कारण सामाजिक न्याय के बारे में बात करने का नैतिक अधिकार नहीं है।”

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