बैजनाथ मंदिर और झील,1100+ वर्ष पुराना, Baijnath Temple || Kot Bhramari Temple, कोट भ्रामरी Bageshwar
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 Published On Premiered Feb 26, 2021

#mrvats

#Baijnath​ is a small town on the banks of the Gomati river in the #Bageshwar​ district of #Uttarakhand​, India. The place is most noted for its ancient temples, which have been recognized as Monuments of National Importance by the Archaeological Survey of India in Uttarakhand. Baijnath has been selected as one of the four places to be connected by the 'Shiva Heritage Circuit' in Kumaun, under the Swadesh Darshan Scheme of the Government of India.

कोट भ्रामरी देवी मंदिर - उत्तराखंड में बागेश्वर जिले में प्रसिद्ध तीर्थस्थल बैजनाथ से 3 किलोमीटर और कौसानी से करीब 17 किलोमीटर की दूरी पर बैजनाथ - ग्वालदम रोड में डंगोली नाम के के सुन्दर छोटे से कसबे के समीप के एक पहाड़ी पर स्थित है।
‘डंगोली’ से यहाँ से कोट भ्रामरी मंदिर 1 किलोमीटर ट्रेक कर पंहुचा जा सकता है, मंदिर के मोटरेबल रोड भी हैं , इस रोड से कुछ घुमावदार मोड़ो से हुए मंदिर तक पंहुचा जा सकता है . मंदिर के मुख्य द्वार से कुछ सीढिया चढ़ मंदिर पंहुचा जा सकता हैं, मुख्य द्वार से पूर्व प्रसाद एवं जलपान हेतु कुछ दुकाने हैं. और सड़क के किनारे वाहनों के लिए पार्किंग हैं । इस स्थान में कभी कव्यूरी राजाओं का किला था। आस पास के क्षेत्र में मंदिर की विशेष मान्यता हैं, माँ के कृपा से श्रृदालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती रही हैं,

प्राकर्तिक सुंदरता से घिरा यह मंदिर - श्रृदालुओं को अपार ऊर्जा और आनंद से भर देता हैं.

मंदिर से चारों ओर दिखने वाले घाटी के दृशय और हिम श्रृंखलाएं यहाँ आने वाले लोगों को मन्त्र मुग्ध कर देती हैं. मंदिर से घाटी में बसे अनेकों गांव नज़र आते हैं, मंदिर पर भक्तों की अगाध आस्था हैं, माँ पर आस्था रखने वाले - किसी भी कार्य आरम्भ करने से पूर्व अथवा किसी उपलब्धि पर माँ का आशीर्वाद लेने आते हैं. कत्यूरी राजाओं के समय में - गढ़वाल यात्रा के समय जगतगुरु शंकराचार्य भी इस स्थान पर - कव्यूरी राजाओं के अतिथि बने थे । उन्होंने बैजनाथ मंदिर की शिला की यहाँ प्राणप्रतिष्ठा की और पूजन आरम्भ करवाया । बाद में वे ही कोट की माई के नाम से पूजित हुई ।

दुर्गासप्तशती में वर्णित कथा के अनुसार - एक समय समूची कत्यूर घाटी पानी में डूबी थी और उस बड़े जलाशय के भीतर अरुण नामक दैव्य रहा करता था, जल के भीतर रहने इस दैत्य का बहुत इस क्षेत्र में बहुत आतंक था.दैत्य के आतंक से परेशान देवताओं की प्रार्थना पर - मां भगवती ने हरछीना नाम के पर्वत, को तोड़ जलाशय का जल बाहर निकाल दिया और जब पानी समाप्त होने पर अरुण अपनी राजधानी से बाहर आया तो भ्रमरों का रुप धारण कर, दैत्य की जीवन लीला समाप्त कर दी । शक्ति रुपा देवी तब से कोट भ्रामरी नाम से पूजित हुई ।कोट भ्रामरी मंदिर में नवरात्री में प्रति वर्ष मेला लगता हैं। यह मेला प्राय: तीन दिन तक चलता है। जिसमे आसपास के गावों के अतिरिक्त दूर से से आने वाले लाखों श्रृदालु पहुंचते हैं. इस मंदिर औरयहाँ लगने वाले मेले की विशेषता है कि - ये गढ़वाल और कुमाऊँ को आपस में जोड़ता हैं. विभिन्न पर्यटक स्थलों और यात्राओं से जुडी की जानकारी। और ये जानकारी आपको सहायता करेगी इन स्थानों में जाने से पहले क्या तैयारियां की जाएँ, कैसे पंहुचा जाए, और वहां के मुख्य आकर्षण। इसलिए अलग अलग स्थानों से जुडी रोचक जानकारियों से अपडेट रहने हेतु हो सके तो Mr Vats चैनल subscribe करें। चैनल पर विजिट करने के लिए धन्यवाद।


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Music Credit :
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